UP News: दिल्ली में संसद भवन के पास स्थित एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव की कथित बैठक को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नाराजगी जताई है. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने धार्मिक स्थल को सपा का दफ्तर बना दिया है. मस्जिद के भीतर हुई इस बैठक की तस्वीर वायरल होने के बाद राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है.
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अखिलेश यादव ने BJP के आरोपों का दिया जवाब

बताते चले कि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि हमारी आस्था सब धर्मों में है और आस्था जोड़ने का काम करती है. उन्होंने कहा कि भाजपा को यही परेशानी है कि लोग एकजुट न हों. भाजपा समाज को बांटना चाहती है, जबकि हम एकता और भाईचारे में विश्वास रखते हैं. अखिलेश यादव ने कहा, “भाजपा का असली हथियार ही धर्म है। उन्हें एकजुट भारत नहीं, बंटा हुआ समाज चाहिए।”
सांसद राजीव राय का सवाल
सपा सांसद राजीव राय ने भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए सवाल उठाया कि क्या अब मंदिर या मस्जिद में जाने के लिए भी भाजपा से अनुमति लेनी पड़ेगी? उन्होंने कहा कि यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और धार्मिक स्थलों को लेकर भाजपा की सोच को दर्शाते हैं.
मस्जिद को ‘सपा ऑफिस’ बताकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने जताई आपत्ति
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने अखिलेश यादव और सपा सांसदों की मस्जिद में मौजूदगी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि एक धार्मिक स्थल को राजनीतिक बैठक के लिए इस्तेमाल करना गलत है. उन्होंने तस्वीर साझा कर कहा कि अखिलेश यादव ने मस्जिद को समाजवादी पार्टी का कार्यालय बना दिया है, जो असंवैधानिक है.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का हमला

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी बार-बार संविधान का उल्लंघन करते हैं. बृजेश पाठक ने कहा, “भारतीय संविधान राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक स्थलों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता। लेकिन सपा को न तो संविधान में भरोसा है, न कानून में।” उन्होंने अखिलेश को ‘नमाजवादी’ कहकर कटाक्ष किया और कहा कि अगर सपा सत्ता में आती है तो राज्य में दंगे और हत्याएं बढ़ जाएंगी.
राजनीतिक माहौल गरमाया
अखिलेश यादव की मस्जिद में बैठक को लेकर छिड़ी यह बहस अब तूल पकड़ती जा रही है. भाजपा जहां इसे धार्मिक स्थलों का राजनीतिक इस्तेमाल बता रही है, वहीं सपा इसे आस्था से जोड़कर भाजपा पर समाज को बांटने का आरोप लगा रही है। यह मामला आने वाले चुनावी माहौल में और भी राजनीतिक रंग ले सकता है.