Politics On Kanwar Yatra: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर एक विवाद उत्पन्न हो गया है. यूपी सरकार (UP government) ने पहले मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों, ठेलों और भोजनालयों को अपने मालिकों या कामकाजी लोगों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश जारी किया था. बाद में, 19 जुलाई को पूरे राज्य में इसी प्रकार का आदेश सभी कांवड़ मार्गों पर स्थित दुकानदारों के लिए लागू कर दिया गया.
Read More: Maharashtra EC ने चुनाव चिन्ह को लेकर चल रही उलझन को सुलझाया,Sharad Pawar को मिली बड़ी राहत
विपक्ष की आलोचना

इस फैसले की आलोचना शुरू हो गई है. विपक्षी नेताओं ने इसे विभाजनकारी करार दिया है, और अब बीजेपी के सहयोगी दल भी इस पर सवाल उठा रहे हैं. जेडीयू, आरएलडी और एलजेपी (R) ने यूपी सरकार (UP government) के इस आदेश की आलोचना की है. जेडीयू ने कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत के खिलाफ है. पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने टिप्पणी की कि इस आदेश से मुसलमानों की पहचान और उन्हें आर्थिक बहिष्कार का संकेत मिलता है. उन्होंने इसे पीएम मोदी के सामाजिक समरसता (social harmony) के सिद्धांत का उल्लंघन बताते हुए इस फैसले को वापस लेने की मांग की.
सहयोगी दलों की नाराजगी

आरएलडी ने भी इस आदेश पर नाराजगी जताई है. पार्टी के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय (Ramashish Rai) ने कहा कि यह आदेश संविधान के खिलाफ है और भेदभावपूर्ण है. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि इसे तुरंत वापस लिया जाए. उनका मानना है कि इस तरह के फैसले से बीजेपी और राज्य को कोई लाभ नहीं होगा.
Read More: Lucknow Road Accident: तेज रफ्तार ट्रक झोपड़ी में जा घुसा,एक ही परिवार के 4 लोगों की गई जान
चिराग पासवान ने किया विरोध

एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने भी इस आदेश का विरोध किया. उन्होंने कहा कि जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव को वह कभी भी समर्थन नहीं करेंगे. चिराग पासवान ने कहा कि समाज में अमीर और गरीब सभी जातियों और धर्मों में होते हैं और सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी वर्गों के लोगों के लिए काम करे.
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की प्रतिक्रिया

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने भी योगी सरकार के निर्णय पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि यह आदेश जातिवाद को बढ़ावा देने वाला हो सकता है, हालांकि बाद में उन्होंने बताया कि यह एक स्थानीय प्रशासनिक निर्देश था और इसे सांप्रदायिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए. राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये निर्देश कांवड़ यात्रियों की आस्था का सम्मान करने के लिए जारी किए गए थे.
Read More: Assam में मुस्लिम जनसंख्या के तेजी से बढ़ने पर Himanta Biswa Sarma की चिंता,राहुल गांधी को ठहराया जिम्मेदारRead More: