UP High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को स्कूलों के विलय के मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने सोमवार को प्राथमिक विद्यालयों के विलय के खिलाफ दायर दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया और कहा कि यह फैसला बच्चों के हित में है। यह फैसला न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सुनाया। क्या था मामला वो भी जान लेते हैं।
हाईकोर्ट ने योगी सरकार के फैसले को सही ठहराया
बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था जिसमें स्कूलों को बच्चों की संख्या के आधार पर नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया था।सरकार के इस आदेश के खिलाफ 1 जुलाई को सीतापुर जिले की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।एक अन्य याचिका 2 जुलाई को भी दाखिल की गई।
4 जुलाई को फैसला रखा था सुरक्षित
याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि,यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE Act) का उल्लंघन करता है।छोटे बच्चों के लिए नए स्कूल तक पहुंचना कठिन होगा,यह कदम बच्चों की पढ़ाई में बाधा डालेगा।4 जुलाई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस पंकज भाटिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।कोर्ट ने साफ किया कि,बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।संसाधनों के बेहतर उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार द्वारा लिया गया फैसला संवैधानिक और वैध है।
सरकारी स्कूलों के विलय का रास्ता साफ
वहीं,राज्य सरकार की ओर से याचिकाओं के विरोध में प्रमुख दलील दी गई कि,विलय की कार्रवाई,संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के लिए बच्चों के हित में की जा रही है।सरकार ने ऐसे 18 प्रथामिक स्कूलों का हवाला दिया था,जिनमें एक भी विद्यार्थी नहीं है।ऐसे स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय करके शिक्षकों और अन्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा।