UP Conversion Case: श्याम से सीधे बना मौलाना उमर…NIA की विशेष अदालत ने लिया बड़ा फैसला, 16 आरोपियों को सजा, 12 को उम्रकैद

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
धर्मांतरण के आरोपियों को सजा

UP Conversion Case: लखनऊ की एनआईए विशेष अदालत ने धर्मांतरण के मामले में दोषी पाए गए 16 आरोपियों को सजा सुनाई है। अदालत ने 12 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि 4 आरोपियों को 10-10 साल की कैद की सजा दी गई। इसके अलावा, सभी दोषियों पर 10 हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला देशभर में धर्मांतरण के नेटवर्क के उजागर होने के बाद सामने आया था और इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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श्याम से सीधे मौलाना उमर गौतम

इस मामले में मुख्य आरोपी मौलाना उमर गौतम हैं, जो पूर्व में श्याम प्रताप सिंह गौतम के नाम से जाने जाते थे। मूलतः फतेहपुर के पंथुवा गांव से ताल्लुक रखने वाले उमर गौतम ने 1984 में इस्लाम धर्म स्वीकार किया था। बाद में, वह इस्लामिक प्रचारक के रूप में देशभर में प्रसिद्ध हुए और बटला हाउस में इस्लामिक दावा सेंटर की स्थापना की। उनके ऊपर आरोप था कि उन्होंने हिन्दू धर्म से मुसलमान बनने की प्रेरणा देकर धर्मांतरण का काम किया।

उसी प्रकार, मौलाना कलीम सिद्दीकी, जो कि मेरठ के रहने वाले हैं और एक समय में मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाने की सोच रहे थे, ने भी धर्मांतरण के नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने खुद को इस्लामिक तालीम देने के क्षेत्र में समर्पित किया और अपने मदरसे के माध्यम से कई लोगों को धर्मांतरित किया। उनके मदरसे को खाड़ी देशों से फंडिंग मिली और हवाला के जरिए धन का लेन-देन किया गया।

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पीड़ितों ने सुनाई आपबीती

इस मामले में धर्मांतरण के शिकार बने कई लोगों ने अदालत में अपनी गवाही दी। इनमें से एक, अमित प्रजापति, ने बताया कि उसे फुलत स्थित मदरसे में ले जाकर उसका धर्म परिवर्तन कराया गया और नया नाम अब्दुल्ला दिया गया। उसके बाद उसे उर्दू और अरबी भाषा सीखने के लिए भेजा गया। प्रजापति ने यह भी बताया कि मदरसे में आने वाले लोगों को भ्रमित करके धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जाता था। एनआईए की विशेष अदालत ने धर्मांतरण के पीड़ितों आदित्य गुप्ता और मोहित चौधरी को दो-दो लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अन्य पीड़ितों, नितिन पंत और परेश लीलाधर हारोड़े, को भी न्याय दिलाने के लिए एक आदेश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा जाएगा।

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात रही चर्चाओं में

तीन साल पहले मुंबई में आयोजित ‘राष्ट्र प्रथम राष्ट्र सर्वोपरि’ सम्मेलन में मौलाना कलीम सिद्दीकी ने हिस्सा लिया था। इस कार्यक्रम में उनके द्वारा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की चर्चा का विषय बनी रही। यह घटना कुछ दिनों बाद ही मौलाना की गिरफ्तारी के साथ जुड़ी, जिससे उनके संदर्भ में विवाद और अटकलें बढ़ गईं। मौलाना कलीम सिद्दीकी के बारे में यह भी चर्चा रही कि उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्री सना खान का निकाह भी कराया था। इस तरह की चर्चाओं ने मौलाना के सार्वजनिक जीवन को लेकर विवादित माहौल पैदा किया। मुंबई के इस सम्मेलन में केरल के तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी मौजूद थे। साथ ही, फुलत मदरसा के निदेशक हजरत मौलाना कलीम सिद्दीकी ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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एनआईए और यूपी एटीएस ने की कार्रवाई

एनआईए के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के बाद सजा का फैसला सुनाया। एटीएस ने 20 जून 2021 को 17 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की थी। अभियोजन पक्ष ने कुल 24 गवाहों को कोर्ट में पेश किया, जबकि बचाव पक्ष ने पांच गवाह पेश किए। अभियोजन के अनुसार, आरोपियों ने नौकरी और अन्य प्रलोभनों का इस्तेमाल करके धर्मांतरण का नेटवर्क चलाया।

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पुलिस का बयान आया सामने

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में देश की एकता और धार्मिक समरसता को किसी भी तरह से खतरे में न डाला जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में न्यायपालिका द्वारा दिया गया फैसला इस बात का प्रमाण है कि अवैध धर्मांतरण और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई जारी रहेगी।

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