Nitin Gadkari News: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर राजनीति में परिवारवाद को लेकर बड़ा हमला बोला है नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि,राजनीति में कुछ लोग ऐसे बोलते हैं कि उनके बेटे का कल्याण कर दो उसे टिकट दे दो कुछ भी हो पहले मेरे बेटे मेरी पत्नी को टिकट दे दो और ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि लोग उन्हें वोट देते हैं लेकिन जिस दिन लोगों ने ठान लिया ऐसे लोगों को वोट नहीं देना है तो वे एक मिनट में ठीक हो जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने राजनीति में परिवारवाद पर बोला हमला
नितिन गडकरी नागपुर में एक पुस्तक विमोचन समारोह में अपना संबोधन दे रहे थे इस दौरान उन्होंने कहा हमारी संस्कृति में कहा गया है वसुधैव कुटुंबकम यानी विश्व का कल्याण हो हमारी संस्कृति में यह कहीं नहीं कहा गया है कि,पहले मेरा कल्याण हो,पहले मेरे बेटे का कल्याण हो या मेरे दोस्तों का कल्याण हो। केंद्रीय मंत्री ने अपने राजनीतिक जीवन के बारे में लोगों को बताते हुए यह भी कहा कि,45 सालों से वह राजनीति में हैं लेकिन किसी के गले में उन्होंने कभी हार नहीं डाला।
“मेरे स्वागत के लिए अब कुत्ते आने लगे हैं”
45 सालों के राजनीतिक करियर में न तो उनके स्वागत के लिए कभी कोई आया और न ही उन्हें छोड़ने के लिए कोई आता है।केंद्रीय मंत्री ने कहा,उनके स्वागत के लिए एक कुत्ता भी नहीं आता है लेकिन अब कुत्ते आने लग गए हैं क्योंकि उन्हें जेड प्लस की सुरक्षा मिली है और चेकिंग के लिए कुत्ते आते हैं।लोकतंत्र को लेकर नितिन गडकरी ने इशारों-इशारों में बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा कि,हमारे लोकतंत्र की असली परीक्षा यह है कि,सत्ता में बैठा व्यक्ति अपने खिलाफ बोले गए शब्दों को भी बड़ी सहजता से स्वीकार करे और अगर विरोध है तो उसके लिए आत्ममंथन करे।
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“जो करेगा जात की बात उसको कस के मारुंगा लात”
नितिन गडकरी ने यह भी बताया राजनीतिक रैली हो या उनका कोई कार्यक्रम उसमें उनके लिए कोई भी पोस्टर नहीं लगाता, उनके बैनर भी नहीं लगाता मैंने लोगों से कहा है वोट देना हो तो दीजिए नहीं देना तो मत दीजिए। वोट दोगे तो भी तुम्हारा काम करुंगा नहीं दोगे तो भी काम करुंगा लेकिन जातिवाद का नाम भी लोगे तो मेरे यहां मत आना मैंने यह सार्वजनिक तौर पर कहा है जो करेगा जात की बात…उसको कस के मारुंगा लात मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ा और वोट देने वालों ने वोट दिया।
नितिन गडकरी ने कहा,इस समाय हमारा देश मतभेदों की नहीं बल्कि मतभेदों की कमी की समस्या से जूझ रहा है संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी देता है हमें लोकतंत्र की जननी कहा जाता है जो न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया के चार स्तंभों पर खड़ा है उसको और मजबूत करना हमारा दायित्व है।