केंद्र सरकार ने भारतीय रेलवे की दो प्रमुख कंपनियों, IRCTC (Indian Railway Catering and Tourism Corporation) और IRFC (Indian Railway Finance Corporation), को ‘नवरत्न’ का दर्जा दिया है। यह निर्णय इन कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उन्हें सरकार से मंजूरी के बिना 1000 करोड़ रुपये तक का निवेश करने की अनुमति मिल जाएगी। इस फैसले से इन कंपनियों की कार्यप्रणाली को और भी प्रभावी और तेज़ बनाने में मदद मिलेगी, और वे बड़ी परियोजनाओं को बिना सरकारी हस्तक्षेप के कार्यान्वित कर सकेंगी।
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‘नवरत्न’ का दर्जा

भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) को उनके प्रदर्शन, मुनाफे और स्वायत्तता के आधार पर ‘महारत्न’, ‘नवरत्न’ और ‘मिनीरत्न’ की श्रेणियों में विभाजित करती है। ‘नवरत्न’ का दर्जा मिलने से कंपनियों को कई वित्तीय अधिकार मिलते हैं, जिनके तहत वे बिना सरकार की मंजूरी के अपने व्यापार में बड़े फैसले ले सकती हैं। इन अधिकारों का उपयोग करते हुए कंपनियां विभिन्न विकासात्मक योजनाओं और परियोजनाओं पर काम कर सकती हैं। इससे उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में तेजी लाने और बाजार की परिस्थितियों के अनुसार जल्दी निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
कैटरिंग और टूरिज्म सेवाएं
IRCTC और IRFC दोनों ही भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण अंग हैं। IRCTC की स्थापना 1999 में की गई थी और यह भारतीय रेलवे के लिए टिकट बुकिंग, कैटरिंग और टूरिज्म सेवाएं प्रदान करती है। वहीं, IRFC की स्थापना 1986 में की गई थी और यह भारतीय रेलवे के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने का कार्य करती है, ताकि रेलवे का आधुनिकीकरण और विस्तार संभव हो सके।इन दोनों कंपनियों के ‘नवरत्न’ का दर्जा मिलने से अब इनके पास 1000 करोड़ रुपये तक के निवेश के लिए सरकारी मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में तेजी आएगी और भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए आवश्यक निवेश जल्द से जल्द हो सकेगा।

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IRCTC का शेयर
इसके साथ ही इन कंपनियों के शेयर बाजार में भी नजरें बनी हुई हैं। हाल ही में IRCTC का शेयर 0.75% की बढ़त के साथ ग्रीन जोन में बंद हुआ था, जबकि IRFC का शेयर 1.11% की गिरावट के साथ बंद हुआ। अब निवेशक इन कंपनियों के शेयरों पर खास ध्यान देंगे, क्योंकि ‘नवरत्न’ का दर्जा मिलने से इनकी वित्तीय स्थिति और व्यापार में स्वायत्तता में सुधार की उम्मीद है।