Tulsi Gabbard: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका पहुंचने के बाद, वहां के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में चुने जाने पर बधाई दी। इसके बाद पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “वाशिंगटन डीसी में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की और उनकी नियुक्ति पर उन्हें बधाई दी। हम भारत-अमेरिका मित्रता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसके वे हमेशा से प्रबल समर्थक रही हैं।”
हिंदू धर्म से गहरा जुड़ाव

तुलसी गबार्ड को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे सीनेट ने मंजूरी दी। यह नियुक्ति विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तुलसी गबार्ड हिंदू धर्म का पालन करती हैं और उन्होंने भगवत गीता हाथ में लेकर शपथ ली थी। यह नियुक्ति एक ऐतिहासिक क्षण है, जो भारत और अमेरिका के रिश्तों में भी एक नया आयाम जोड़ने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।
राजनीतिक और सैन्य अनुभव से समृद्ध जीवन
आपको बता दे कि, तुलसी गबार्ड खुद को हिंदू धर्म से जुड़ी हुई मानती हैं, हालांकि वे भारतीय मूल की नहीं हैं। उनका जन्म समोआ में हुआ था, लेकिन उनकी मां हिंदू धर्म अपनाने वाली हैं। तुलसी ने 21 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा और डेमोक्रेटिक पार्टी से चार बार सांसद रहीं। इसके अलावा, तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी आर्मी रिजर्विस्ट के रूप में ईराक युद्ध में भी हिस्सा लिया है, और वह लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर भी सेवा दे चुकी हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी से विवाद और स्वतंत्र राजनीति में कदम

2022 में तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी से नाखुश होकर पार्टी छोड़ दी थी और इसके बाद उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। कुछ विशेषज्ञों का मानना था कि तुलसी गबार्ड ट्रंप के उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में भी उभर सकती थी। अब वे अवरील हेन्स की जगह अमेरिका की शीर्ष खुफिया अधिकारी बन गई हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने तुलसी गबार्ड की नियुक्ति पर यह भी कहा था कि वह अपने साहसी नेतृत्व से खुफिया समुदाय को मजबूत करेंगी और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगी।
भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा

प्रधानमंत्री मोदी और तुलसी गबार्ड की मुलाकात ने भारत और अमेरिका के संबंधों को और अधिक मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाने का संकेत दिया है। जहां एक ओर यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर दोनों देशों के बीच रणनीतिक, सैन्य और खुफिया साझेदारी को मजबूत करने का भी यह एक महत्वपूर्ण अवसर है।