डोनाल्ड ट्रंप के 2025 में फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के साथ ही दुनिया भर की निगाहें उनकी विदेश नीति पर टिकी हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान, अमेरिकी विदेश नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए थे, जिनमें भारत और चीन के साथ अमेरिका के रिश्तों में विशेष ध्यान दिया गया था। अब, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, उनकी प्राथमिकता यह हो सकती है कि वह विदेश नीति में और भी बड़े बदलाव करें, खासकर भारत और चीन के संदर्भ में।
भारत के साथ संबंध
ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत के साथ अमेरिकी संबंधों में उल्लेखनीय सुधार हुआ था। भारत को अमेरिका का रणनीतिक साझेदार माना गया और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग, व्यापार, और तकनीकी साझेदारी में वृद्धि देखी गई। ट्रंप ने भारत को अपने “फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक” दृष्टिकोण का अहम हिस्सा मानते हुए उसकी सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने के लिए कदम उठाए थे। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौतों, जैसे कि लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) और कम्युनिकेशन कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA), से दोनों देशों के सैन्य संबंध मजबूत हुए। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने भारत को कई व्यापारिक राहत भी दी, जैसे कि भारतीय उत्पादों पर शुल्क में कमी।

चीन के साथ संबंध
चीन के साथ ट्रंप का पहला कार्यकाल तनावपूर्ण रहा। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने दोनों देशों के रिश्तों को काफी प्रभावित किया। ट्रंप ने चीन के खिलाफ शुल्क लगाए और उसके व्यापारिक प्रथाओं को “अन्यायपूर्ण” बताया। इसके अलावा, चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अमेरिका ने ताइवान और दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर भी कड़ा रुख अपनाया। ट्रंप ने चीन को चुनौती देने के लिए “भारत-चीन मुकाबला” को और मजबूत किया और भारत को अपनी रणनीतिक साझेदारी में शामिल किया।
भारत के साथ मजबूत साझेदारी
भारत और चीन दोनों ही एशिया में अमेरिकी नीति के लिए महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, भारत को लेकर उनका दृष्टिकोण और भी गहरा हो सकता है। भारत के साथ रक्षा, व्यापार, और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया जा सकता है, विशेष रूप से भारत-चीन सीमा विवाद को देखते हुए। भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा उपकरणों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के साथ-साथ, भारत को अमेरिका से उन्नत तकनीकी सहयोग भी मिल सकता है।

भारत के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार बन सकता है, और इसके साथ ही, अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ रणनीतिक समर्थन भी प्रदान कर सकता है। चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, अमेरिका भारत को “काउंटेरेश” के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत के साथ व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र में भी नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
चीन के साथ कड़ा रुख
ट्रंप का चीन के प्रति रुख पहले ही कड़ा था, और उनके दूसरे कार्यकाल में भी चीन के साथ रिश्ते तनावपूर्ण रहने की संभावना है। अमेरिका के “अमेरिका फर्स्ट” सिद्धांत के तहत, ट्रंप प्रशासन चीन को वैश्विक आर्थिक और सैन्य शक्ति के रूप में चुनौती देता रहेगा। ट्रंप का यह भी मानना है कि चीन ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) और वैश्विक मानकों के तहत “अनुचित व्यापार प्रथाओं” को बढ़ावा दिया है, जिससे अमेरिका को भारी नुकसान हुआ है।ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, अमेरिका चीन के खिलाफ और अधिक कड़े कदम उठा सकता है, जिसमें चीन से संबंधित तकनीकी उत्पादों पर प्रतिबंध, और दक्षिण चीन सागर में उसकी सैन्य गतिविधियों का विरोध शामिल हो सकता है। इसके अलावा, ताइवान के मुद्दे पर भी अमेरिका अपना दबाव बनाए रख सकता है।

भारत और चीन के रिश्तों पर असर
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चलता आ रहा है, और ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, अमेरिका ने भारत के पक्ष में खड़े होकर चीन को चेतावनी दी थी। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, अमेरिका की भूमिका भारत के लिए और भी महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर चीन के साथ सीमा विवाद के संदर्भ में।भारत और चीन के बीच होने वाले किसी भी सीमा संघर्ष में अमेरिका की मध्यस्थता या समर्थन की आवश्यकता हो सकती है। ट्रंप प्रशासन भारत को चीनी विस्तारवाद का सामना करने के लिए सैन्य और रणनीतिक सहायता प्रदान कर सकता है। इससे भारत को चीन के खिलाफ सामरिक रूप से मजबूत स्थिति मिल सकती है।
व्यापार नीति
ट्रंप के पहले कार्यकाल में व्यापार युद्ध ने अमेरिका और चीन के रिश्तों को बदल दिया। अब, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, अमेरिका भारत के साथ व्यापार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। अमेरिका का लक्ष्य व्यापार घाटे को कम करना और भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में अधिक स्थान देना हो सकता है। हालांकि, चीन के साथ व्यापारिक संबंधों में फिर से संघर्ष हो सकता है, और ट्रंप चीन को वैश्विक बाजार से बाहर करने की कोशिश कर सकते हैं।

Read More:filmmaker david lynch news:डेविड लिंच का निधन.. क्या उनकी फिल्में अब भी रहस्यमयी तरीके से हमें नई दिशा दिखाएंगी?
रक्षा नीति
भारत के साथ अमेरिकी रक्षा सहयोग में वृद्धि हो सकती है, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास और उन्नत रक्षा उपकरणों का आदान-प्रदान शामिल है। दूसरी ओर, चीन के साथ अमेरिका की रक्षा नीति में और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं, खासकर दक्षिण चीन सागर और ताइवान जैसे मुद्दों पर।
बहुपक्षीय समझौतों से दूरी
ट्रंप का रुझान पहले भी बहुपक्षीय समझौतों से दूर रहने का था। उनके दूसरे कार्यकाल में भी यह नीति जारी रह सकती है, जिससे भारत और चीन दोनों को प्रभावित किया जा सकता है। भारत, जहां एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है, चीन के साथ अपनी रणनीति को फिर से परिभाषित कर सकता है।