आज है जीरो शैडो डे, जानें इससे जुड़ी कुछ रोचक बाते

Mona Jha
By Mona Jha

Special day : आपको ये जानकर हैरानी होगी की साल में एसे दो दीन आते है जिस दिन हमारी परछाई हमारा साथ छोड़ देते है। बता दे की जब हम रोशनी मे होते है तो हमारी परछाई हमे दिख जाती है , लेकिन इस दिन हमारी परछाई हमे नही दिखती है। बता दे कि 18 अगस्त 2023 को भारत में किसी भी चीज की परछाईं नहीं दिखेती है , क्योंकि इस दिन जीरो शैडो डे होता है। शून्य छाया दिवस एक अनोखी खगोलीय घटना है जो तब घटित होती है जब सूर्य ठीक सिर पर होता है।

छाया हो जाती है गायब

यह वह दिन है जब ऊर्ध्वाधर वस्तुओं की छाया गायब हो जाती है। बेंगलुरु में यह साल में दो बार होता है, एक उत्तरायण के दौरान और दूसरा दक्षिणायन के दौरान होता है। वहीं इन रहस्यों के बारे मे जानकर वैज्ञानिक भी हैरान रह जाते हैं। वहीं इस दिन की बात करें तो ये रहस्य आँखों के सामने आने पर लोगों को भी हैरान कर देती हैं।

जीरो शैडो क्या है

18 अगस्त को भारत में सिर के ऊपर सूरज की पोजिशन इस तरह बनती है कि लोगों को अपनी छाया भी दिखनी बंद हो जाती है। यही कारण है की इसे जीरो शैडो डे कहा जाता है। बता दे की यह वो दिन होता है, जब दिन के एक खास समय पर सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर आ जाता है ,जिस की वजह से हमारी कोई परछाई नहीं बनती है। इसी वजह से इस स्थिति को जीरो शैडो कहा जाता है।

क्यों नही दिखती है परछाई

ऐसा नहीं है कि इस दिन छाया बिल्कुल गायब हो जाएगी , लेकिन जब सूरज ठीक हमारे सर के ऊपर होता है, तो उसकी किरणे हम पर लंबवत पड़ती हैं। जिस वजह से हमारी जो परछाई होती है वो थोड़ा इधर-उधर न बनकर बिलकुल हमारे पैरों के नीचे बनती है। जिस वजह से सीधे खड़े रहने पर कोई परछाई दिखाई नहीं देती है।

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2018 में जीरो शैडो डे कि शुरुआत

ये शून्य छाया दिवस उन सभी स्थानों पर होता है जहां उस विशेष दिन पर अक्षांश सूर्य की स्थिति और भूमध्य रेखा के बीच के कोण से मेल खाता है, और दोपहर में छाया किसी वस्तु के नीचे दिखाई देती है। वहीं सूर्य के स्थान के सबसे उत्तरी और सबसे दक्षिणी बिंदु दो संक्रांति हैं, और भूमध्य रेखा के पार सूर्य का पार होना दो विषुव हैं। एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की सार्वजनिक आउटरीच और शिक्षा समिति के सदस्य निरुज रामानुजम ने 2018 में जीरो शैडो डे के बारे में बताया थी।

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