आज है नवरात्रि का तीसरा दिन, जानें क्या हैं पूजा विधि, और मंत्र..

Mona Jha
By Mona Jha

Maa Chandraghanta Puja : शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा को माना जाता है। इसलिए नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, साथ ही इन्हें पापों की विनाशिनी भी कहा जाता है। नवरात्रि पर्व को हिंदू धर्म में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है, और नवरात्रि में दुर्गा माता के सभी रुपों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता हैं कि माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाली देवी कहा जाता है। साथ ही माता चंद्रघंटा अपने हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा धारण की रहती है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्घचंद्र बना हुआ होता हैं। इसलिए इन्हें चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है।

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क्यों कहा जाता है चंद्रघंटा..

नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की बहुत विधि-विधान से पूजा किया जाता है। ऐसा कहा जाता हैं कि माता को दूध से बने भोजन को भोग लगाने से माता अपने भक्तों से बहुत प्रसन्न होती है। इनकी आराधना करने से भक्त गण के घर सुख समृध्दि बनी रहती है। दुर्गा मां का तीसरा रूप होने के कारण यह बहुत शक्तिशाली होती है। साथ ही युद्ध मुद्र् में शेर पर विराजमान मां चंद्रघंटा के इनके हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनके मस्तक पर घंटे के आकार में अर्ध्द चंद्र विराजमान होता हैं इसलिए इन्हें माता चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। माता का संबंध मंगल ग्रह से होता है। ऐसा कहा जाता हैं कि माता चंद्रघंटा राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था। साथ ही इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं की शक्तिया समाहित है।

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जानें क्या लगाए भोग..

माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि-विधान से करना चाहिए, और वहीं माता को दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता। ऐसा माना जाता हैं कि माता चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजों का भोग लगा कर खुश कर सकते है। वैसे भोग में आप दूघ, दही, पंचामृत, दूध से बनी मिठाईयों का भोग लगा सकते है।

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पूजा विधि..

मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल और नारंगी रंग का अधिक प्रयोग करें। नवरात्रि के तीसरे दिन मणिपुर चक्र पर “रं” अक्षर का जाप करने से मणिपुर चक्र मजबूत होता है। इससे मंगल के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। माता रानी को लाल चंदन, लाल चुनरी, लाल फूल और लाल फल(सेब) अर्पित करें। देवी दुर्गा के हर रुप को विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है। मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और फिर देवी की आरती करें। इस तरह मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साहस के साथ सौम्यता और विनम्रता में वृद्धि होती है।

माता चंद्रघंटा मंत्र..

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

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