Tirupati Laddu Controversy: प्रसाद में मिलावट का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, भक्तों की धार्मिक आस्थाओं पर आघात का लगा आरोप

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Tirupati Laddu Controversy

Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के आरोपों ने देशभर में हलचल मचा दी है। इस विवाद ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में मिलावट के मुद्दे पर वकील सत्यम सिंह ने याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि इस प्रसाद में मिलावट से हिंदू भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। याचिकाकर्ता ने अदालत से इस मामले में दखल देने की मांग की है, साथ ही आरोप लगाया है कि यह मिलावट हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और आस्थाओं का उल्लंघन है।

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धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात, अनुच्छेद 25 का उल्लंघन

सत्यम सिंह द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि तिरुपति बालाजी मंदिर का प्रसाद भक्तों के लिए एक पवित्र आशीर्वाद है, जिसे खाने के बाद उन्हें आस्था और शांति की अनुभूति होती है। इस प्रसाद में मिलावट करके न केवल भक्तों की भावनाओं को चोट पहुंचाई गई है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का भी उल्लंघन किया गया है, जो हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता और रीति-रिवाजों का पालन करने का अधिकार प्रदान करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और भक्तों की आस्थाओं की रक्षा हो सके।

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आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भी पहुंचा मामला

इस विवाद की गूंज केवल सुप्रीम कोर्ट तक सीमित नहीं रही, बल्कि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में भी यह मामला पहले से लंबित है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में वर्तमान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने रेड्डी की छवि धूमिल करने के लिए तिरुपति के प्रसाद में मिलावट का झूठा आरोप लगाया है। हाईकोर्ट से अनुरोध किया गया है कि इस मामले की जांच किसी उच्चस्तरीय समिति या न्यायाधीश द्वारा की जाए ताकि सच सामने आ सके।

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चंद्रबाबू नायडू ने लगाए गंभीर आरोप

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति के प्रसाद में पशु चर्बी और अन्य अमानवीय तत्वों की मिलावट का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलावट की गई, जिससे भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया। नायडू के इस बयान ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है और पूरे देश में इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। धार्मिक आस्थाओं से जुड़े इस संवेदनशील मामले ने न केवल आंध्र प्रदेश बल्कि पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया है।

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स्वास्थ्य मंत्री ने मांगी रिपोर्ट

इस विवाद में केंद्र सरकार भी शामिल हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आंध्र प्रदेश सरकार से तिरुपति प्रसाद में मिलावट की रिपोर्ट मांगी है। नड्डा ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से उन्हें इस मिलावट की जानकारी मिली है और उन्होंने तुरंत इस पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया। आंध्र प्रदेश सरकार से मिली रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस मामले की लैब रिपोर्ट भी मांगी गई है ताकि यह पता चल सके कि प्रसाद में वाकई किसी प्रकार की मिलावट की गई है या नहीं। यदि मिलावट के आरोप सही साबित होते हैं, तो दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

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देशभर में भक्तों में फैला आक्रोश

तिरुपति बालाजी मंदिर देश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां हर साल लाखों भक्त दर्शन और प्रसाद के लिए आते हैं। इस विवाद ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। प्रसाद में मिलावट के आरोपों से भक्तों की धार्मिक भावनाओं को गहरी चोट पहुंची है। श्रद्धालुओं के लिए यह प्रसाद आस्था का प्रतीक है, और इसकी पवित्रता से छेड़छाड़ करना उनकी धार्मिक भावनाओं का अपमान है।

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होगी उच्चस्तरीय जांच

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आंध्र प्रदेश सरकार इस विवाद की गहन जांच कर रही हैं। रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई की उम्मीद है। अगर आरोप साबित होते हैं, तो तिरुपति मंदिर के प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस विवाद ने धार्मिक स्थलों के प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। भक्तों को उम्मीद है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी और भविष्य में ऐसे किसी विवाद से उनकी आस्था को ठेस नहीं पहुंचेगी। तिरुपति प्रसाद में मिलावट के आरोपों ने न केवल भक्तों की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि इसने देशभर में धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ पर गंभीर बहस छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका और आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा मांगी गई रिपोर्ट से इस मामले की सच्चाई सामने आ सकती है।

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