Tirupati Laddu controversy: काशी विद्वत परिषद ने प्रायश्चित का दिया सुझाव, पंचगव्य से हो सकेगा निवारण

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
तिरुपति का प्रसाद

Tirupati Laddu controversy: तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने की रिपोर्ट ने पूरे देश में सनसनी फैला दी है। यह मामला न केवल दक्षिण भारत बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। इस खुलासे के बाद से ही हिंदू श्रद्धालुओं में गहरा आक्रोश है। तिरुपति के पवित्र प्रसाद को लेकर भक्तों की आस्था को चोट पहुंची है, और कई भक्त लोग जो वहां का विचरण कर चुके है यह सोच कर चिंतित हैं कि उन्होंने अनजाने में ही सही मगर अभक्ष्य यानी अशुद्ध प्रसाद ग्रहण किया है।

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प्रायश्चित के लिए काशी विद्वत परिषद ने दिए निर्देश

तिरुपति के प्रसाद को लेकर उठे विवाद के बीच काशी विद्वत कर्मकांड परिषद ने उन श्रद्धालुओं को प्रायश्चित कराने की बात कही है, जिन्होंने अनजाने में इस अपवित्र प्रसाद को ग्रहण किया है। काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने इस प्रकरण पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह घटना सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को आहत करने का प्रयास है, और इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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मंदिर न्यास बोर्ड को भंग करने की मांग

आचार्य अशोक द्विवेदी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए तिरुपति मंदिर के न्यास बोर्ड को भंग करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस गंभीर मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके। इसके अलावा, उन्होंने उन भक्तों को प्रायश्चित करने का सुझाव दिया है, जिन्होंने चर्बी मिले प्रसाद को ग्रहण किया है और इस घटना से आहत हैं।

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प्रायश्चित के लिए पंचगव्य का महत्व

काशी विद्वत परिषद ने बताया कि जिन भक्तों ने यह अभक्ष्य प्रसाद ग्रहण किया है, वे पंचगव्य के माध्यम से प्रायश्चित कर सकते हैं। पंचगव्य में गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी शामिल होते हैं। इन पांच तत्वों को अभिमंत्रित करके ग्रहण करने से पाप का शोधन हो सकता है। आचार्य द्विवेदी ने बताया कि भगवान नारायण ही प्रायश्चित के आदिदेवता हैं और तिरुपति बालाजी भी साक्षात नारायण के रूप माने जाते हैं, इसलिए उनकी शरण में जाकर प्रायश्चित करना उचित होगा।

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पंचगव्य प्राशन की विधि

प्रायश्चित करने की विधि बताते हुए आचार्य द्विवेदी ने कहा कि सबसे पहले गायत्री मंत्र से गोमूत्र को अभिमंत्रित करें। इसके बाद अन्य चार तत्वों—गोमय (गोबर), गो दुग्ध (दूध), गो दधि (दही) और गोघृत (घी) को अलग-अलग मंत्रों से अभिमंत्रित करें। इसके साथ ही गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल का प्रयोग करें। पंचगव्य के प्राशन के लिए ‘यत्वगस्तिगतम पापं…’ श्लोक का 12 बार उच्चारण करके इसका सेवन करें। इस प्रक्रिया से व्यक्ति के मन और शरीर दोनों का शुद्धिकरण होगा।

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प्रायश्चित हवन का आयोजन जल्द होगा

काशी विद्वत परिषद ने यह भी घोषणा की है कि जल्द ही एक विशेष प्रायश्चित हवन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर के श्रद्धालु भाग ले सकते हैं। इस हवन के माध्यम से उन सभी भक्तों को धार्मिक शुद्धिकरण का अवसर दिया जाएगा, जो इस घटना से आहत हैं। परिषद का कहना है कि यह हवन भगवान नारायण की आराधना के साथ संपन्न होगा और इसमें भाग लेने वाले सभी भक्तों को मानसिक शांति प्राप्त होगी।

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ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य का बयान

इस विवाद पर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कई हिंदू भक्त उनसे संपर्क कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्या तिरुपति लड्डू खाने से वे भ्रष्ट हो गए हैं। शंकराचार्य ने कहा कि धर्मशास्त्र के अनुसार, किसी भी कार्य को जबरदस्ती या धोखे से कराने पर उसे अधर्म नहीं माना जाता। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि भक्त भावशोधन के लिए प्रायश्चित करना चाहते हैं, तो इसके लिए उचित धार्मिक उपाय जल्द ही घोषित किए जाएंगे।

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श्रद्धालुओं की बढ़ती चिंता

तिरुपति लड्डू के प्रसाद में चर्बी मिलने की खबर से भक्तों में असमंजस और चिंता का माहौल है। इस विवाद ने न केवल तिरुपति मंदिर प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि धर्मप्रेमियों की भावनाओं को भी गहरा आघात पहुंचाया है। देशभर के धार्मिक नेता अब इस मुद्दे पर एकजुट होकर श्रद्धालुओं की भावनाओं को शांत करने और प्रायश्चित के माध्यम से धार्मिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया का समर्थन कर रहे हैं।

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न्यायिक जांच की मांग

इस विवाद के बाद, तिरुपति मंदिर के न्यास बोर्ड पर सवाल खड़े हो गए हैं। श्रद्धालुओं और धार्मिक नेताओं ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि जांच के नतीजे क्या होंगे और क्या तिरुपति मंदिर प्रशासन इस गंभीर मुद्दे को सुलझाने में सफल हो पाएगा।

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