Tirupati Laddu Controversy: प्रसाद में जानवरों की चर्बी होने की पुष्टि, पवन कल्याण ने की ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ बनाने की मांग

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Pawan Kalyan

Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने के मामले ने राजनीतिक हलचलों को जन्म दे दिया है। सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने गुजरात की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस मिलावट की पुष्टि की है। तिरुपति (Tirupati) वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसाद में मिलावट का यह विवाद तब सामने आया जब टीडीपी ने दावा किया कि प्रसाद बनाने वाले घी में गोमांस की चर्बी, मछली का तेल और ताड़ का तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस संदर्भ में टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने प्रयोगशाला रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया गया कि 9 जुलाई को लिए गए नमूनों में जानवरों की चर्बी पाई गई। रिपोर्ट 16 जुलाई को जारी की गई थी।

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राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप सिलसिला जारी

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पिछली वाईएसआरसीपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वाईएसआरसीपी ने तिरुपति लड्डू के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया और पवित्रता को धूमिल किया। वहीं, विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया और इसे राजनीतिक साजिश बताया।

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बीजेपी नेता का बयान

बीजेपी नेता बंदी संजय कुमार ने कहा, “यह हिंदुओं के विश्वास के साथ बड़ा धोखा है।” उन्होंने कहा कि लड्डू में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करना तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी की पूजा करने वाले भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाता है। राजा सिंह ने इसे हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत पर हमला करार दिया।

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उपमुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण (Pawan Kalyan) ने भी इस मामले में चिंता जताई और सनातन धर्म रक्षण बोर्ड बनाने की मांग की। उन्होंने कहा, “यह घटना हमें सभी धार्मिक मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता बताती है।” उन्होंने इस मामले में टीटीडी बोर्ड से जवाब तलब करने की बात कही और कहा कि इस पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की जानी चाहिए। उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने सोशल मीडिया के माध्यम से तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने की घटना पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हम सभी इस बात से बेहद परेशान हैं कि तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मछली का तेल, सूअर की चर्बी और गोमांस की चर्बी मिलाई गई है। यह तत्कालीन वाईसीपी सरकार द्वारा गठित टीटीडी बोर्ड के लिए कई सवाल खड़े करता है। हमारी सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगी।”

पवन कल्याण ने राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ के गठन की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि मंदिरों से जुड़े सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाए। सभी नीति निर्माताओं, धार्मिक नेताओं, न्यायपालिका, नागरिकों और मीडिया को इस पर एकजुट होकर चर्चा करनी चाहिए। हमें किसी भी प्रकार से ‘सनातन धर्म’ के अपमान को रोकने के लिए एक साथ आना चाहिए।”

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सामाजिक और धार्मिक चेतना पर पड़ता प्रभाव

यह विवाद न केवल राजनीतिक है, बल्कि इससे धार्मिक भावनाओं पर भी गहरा असर पड़ सकता है। तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर हिन्दू श्रद्धालुओं का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, और इसके प्रसाद की पवित्रता को लेकर भक्तों में गहरी आस्था है। इस तरह की मिलावट के आरोपों से न केवल मंदिर की छवि पर असर पड़ता है, बल्कि भक्तों के विश्वास में भी दरार डालता है।

इस मामले में आगे की जांच और कार्रवाई की आवश्यकता है। टीडीपी और बीजेपी ने मिलावट के आरोपों की जांच की मांग की है, जबकि वाईएसआरसीपी ने इसे राजनीतिक बदला लेने का प्रयास बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण विषय बन सकता है, क्योंकि यह धार्मिक भावनाओं और आस्थाओं से जुड़ा हुआ है।

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