Tirupati Laddu controversy: सीएम चंद्रबाबू नायडू ने SIT जांच के आदेश दिए, बोले-“भगवान के चमत्कार से बचा था”

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Tirupati Laddu controversy

Tirupati Laddu: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में मिलावट के मामले को लेकर बड़ा कदम उठाया है। इस विवाद ने पूरे देश में धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, जिसके बाद सीएम नायडू ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे जांच

सीएम नायडू ने स्पष्ट किया कि एसआईटी में आईजी स्तर या उससे ऊपर के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस जांच का मुख्य उद्देश्य मंदिर की पवित्रता और भक्तों की आस्था को बनाए रखना है। सीएम ने कहा, “मैं तीन दृष्टिकोणों पर काम कर रहा हूं— पहला, परंपराओं के अनुसार मंदिर का शुद्धिकरण। दूसरा, आईजी स्तर पर एक निष्पक्ष जांच। और तीसरा, मंदिर प्रबंधन समिति में उन्हीं लोगों को शामिल किया जाएगा, जिनकी धार्मिक आस्था पर कोई सवाल नहीं है।” इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के सभी मंदिरों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और मंदिरों की पवित्रता बनी रहे।

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जगन मोहन पर साधा निशाना, कहा-“बकवास कर रहे हैं”

चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति प्रसाद विवाद को लेकर विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि जगन मोहन इस मुद्दे पर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं और बेतुकी बातें कर रहे हैं। नायडू ने कहा, “अगर हमारी सरकार की नीतियों की आलोचना करनी है, तो करें, हम उसका जवाब देंगे। लेकिन यह बेतुकी बातें बंद होनी चाहिए। हमारी सरकार को अभी 100 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं और वो आलोचना करने लगे हैं।”

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“तिरुपति में अपवित्र कामों का भक्तों ने किया विरोध”

सीएम नायडू ने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में तिरुपति मंदिर में कई अपवित्र कार्य किए गए हैं, जिसका श्रद्धालुओं ने कड़ा विरोध किया था। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार के समय तिरुपति मंदिर के प्रसाद और भोजन को शुद्ध तरीके से तैयार किया जाता था। नायडू ने कहा, “हमने उस समय मंदिर में आयुर्वेदिक पौधे भी लगाए थे और बाबा रामदेव को बुलाकर मंदिर की शुद्धता को लेकर कई कदम उठाए थे।”

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“भगवान के चमत्कार से बचा था”

चंद्रबाबू नायडू ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर उनके लिए भी बहुत खास है। उन्होंने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि जब वे एक बार तिरुपति मंदिर में प्रसाद चढ़ाने गए थे, तब उन पर हमला हुआ था। नायडू ने कहा, “भगवान बालाजी के चमत्कार की वजह से ही मैं उस हमले से बच पाया था।” नायडू ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर पर करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है और इस प्रकार की घटनाएं आस्था को ठेस पहुंचाती हैं। इसलिए इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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एसओपी बनाएंगे सभी मंदिरों के लिए

तिरुपति लड्डू विवाद के बाद, चंद्रबाबू नायडू ने यह भी घोषणा की कि राज्य के सभी मंदिरों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह एसओपी यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो और मंदिरों की पवित्रता पर किसी प्रकार का धब्बा न लगे।

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विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में शामिल होंगी ये बातें

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें शामिल की गई हैं। गाय के घी के उत्पादन की गुणवत्ता और क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए एक वस्तुनिष्ठ स्कोरिंग मॉडल लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, आपूर्तिकर्ताओं की नियमित निगरानी की जानी चाहिए। गाय के दूध की खरीद और गाय के घी के उत्पादन से संबंधित अभिलेखों का सत्यापन भी आवश्यक है। गुणवत्ता रिपोर्ट की समीक्षा के साथ-साथ औचक निरीक्षण और निगरानी ऑडिट का आयोजन भी जरूरी है। घी की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए वैज्ञानिक प्रयोगशाला के सहयोग से एक संवेदी पैनल स्थापित किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि घी गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए 9-बिंदु हेडोनिक पैमाने पर कम से कम 7 अंक प्राप्त करे।

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धार्मिक आस्था पर सवाल और समाधान की उम्मीद

तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में मिलावट की खबर ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है। सीएम चंद्रबाबू नायडू द्वारा SIT जांच के आदेश और मंदिर की शुद्धता को लेकर किए गए कदम इस विवाद को शांत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। जहां एक तरफ यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार इसे धार्मिक आस्था से जुड़ा मुद्दा मानते हुए पूरी गंभीरता से जांच में जुटी है।

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