‘Bihar के विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज के बीच ‘या’ का कोई स्थान नहीं’… सदन में बोले मनोज झा

Mona Jha
By Mona Jha
Bihar Assembly
Bihar special state status

Bihar Special State Status Demand : बिहार को विशेष दर्जा देने के मुद्दे पर JDU न केवल अपने पुराने रुख पर कायम है, बल्कि केंद्र सरकार के सामने लगातार यह मांग उठा रही है। वहीं संसद के मॉनसून सत्र में सोमवार को राज्य सभा में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठी।

ऐसे में उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए मनोज झा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) पर भी निशाना साधा और कहा कि विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की मांग में ‘या’ के लिए कोई स्थान नहीं है।

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‘विशेष राज्य का दर्जा के साथ मिले विशेष पैकेज”

उन्होंने जद (यू) की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘हमारे कुछ साथी जो हमारे साथ काम कर चुके हैं, कहते हैं कि विशेष राज्य न दे सको तो विशेष पैकेज पैकेज दो। विशेष राज्य और विशेष पैकेज के बीच में ‘या’ नहीं है। बिहार को ‘या’ स्वीकार नहीं है। विशेष राज्य का दर्जा भी चाहिए और विशेष पैकेज भी चाहिए। हमें दोनों चाहिए। संसद में मांगेंगे, सड़क पर मांगेंगे।” ज्ञात हो कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग बहुत पुरानी है और राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल इसकी मांग करते रहे हैं।

हाल ही में केंद्र की राजग सरकार का हिस्सा बनने के बाद बिहार के सत्तारूढ़ जद (यू) ने इस मामले में अपना रुख लचीला किया है और उसके नेताओं ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि विशेष दर्जा देने में दिक्कत है तो फिर बिहार के लिए विशेष पैकेज ही दे दिया जाए।

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‘Bihar को सिर्फ ‘वोटिंग स्टेट’ ना समझे’

उन्होंने आगे कहा कि सरकार से अनुरोध किया कि वह बिहार को सिर्फ ‘वोटिंग स्टेट’ ना माने। उन्होंने कहा, ‘‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दीजिए…जो हमारे ओडिशा और आंध्र प्रदेश के साथी भी मांग कर रहे हैं। सबसे पुरानी मांग हमारी थी। जब झारखंड बना तब बिहार के हिस्से में धूल, धूप और वर्षा के अलावा कुछ नहीं बचा। हमें भी प्रगति के नियामक पार करने हैं।

” उन्होंने कहा कि यह तब तक संभव नहीं है जब तक बिहार को विशेष दर्जे के साथ विशेष पैकेज नहीं मिलता। उन्होंने कहा, ‘‘देश की प्रगति का खाका बिहार जैसे राज्यों की प्रगति के बगैर संभव नहीं है। बिहार श्रम आपूर्ति के टैग से निकलना चाहता है। ये टैग हम पर औपनिवेशिक शासनकाल से आज तक लगा हुआ है। विशेष आर्थिक क्षेत्र की बात होती है। देश में 378 (एसईजेड) हैं। इनमें से 265 कार्यरत हैं। लेकिन बिहार में एक भी नहीं है।”

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“सिर्फ चुनाव के वक्त न याद करें”

मनोज झा ने ‘सबका साथ, सबका विकास का जिक्र करते हुए कहा कि , ‘‘बिहार के विकास और प्रगति के मानदंड की जब चर्चा हो तो बिहार को संवेदना से देखने की जरूरत है। बिहार को सिर्फ चुनाव के वक्त में नहीं याद करना चाहिए।” झा से पहले, बीजू जनता दल (बीजद) के मुजीबुल्ला खान ने ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि राज्यों का विकास होगा तभी ‘सबका साथ, सबका विकास’ संभव हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि नवीन पटनायक जब राज्य के मुख्यमंत्री थे तब कई मौकों पर उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखा और उनकी पार्टी के सांसदों ने हर मंच पर इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने ओडिशा की 22 फीसदी आदिवासी जनता और राज्य के पिछड़ेपन का हवाला देते हुए कहा कि यदि राज्य को विशेष दर्जा देने की राह में नियम आड़े आ रहे हैं तो उसे बदलने से परहेज नहीं किया जाना चाहिए।

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