सीखने और शौक पूरे करने की नहीं होती कोई उम्र- लालरिंगथारा

Laxmi Mishra
By Laxmi Mishra

Digital-Mona
Eduction: आप ने ये तो सुना ही होगा की जब जागो तब सवेरा ,तो एसे ही इस कहावत को सच्च करने का ममला मिजोरम में रहने वाले एक बुजुर्ग का सामने आया है, जिस की उम्र 78 साल है जो सीखने की चाह मे न तो अपनी उम्र देखा और न ही किसी की परवाह किया है। वही लोग भी सही कहते है की अगर अपने शौक पूरे करने है, तो उसकी कोई उम्र नहीं होती है। जब आपका जो मन करे, तभी आपको वो कर लेना चाहिए।

बता दे की मिजोरम में रहने वाले बुजुर्ग जिसकी उम्र 78 साल है, जिसकी कहानी से यही पता चलता है की वो चम्फाई जिले के ह्रुआइकोन गांव में रहते हैं। लालरिंगथारा इस उम्र में भी रोज राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान हाई स्कूल में क्लास अटेंड करने के लिए रोजाना तीन km की दूरी तय करते हैं। वहीं वो अपनी पढाई पूरी करने के अपने लंबे समय के सपने को पूरा करने के लिए school dress भी पहनते है, साथ ही इतनी उम्र के होकर भी वो किताबों से भरा बैग school लेकर जाते हैं।

कक्षा 9 में Admission लेने का फैसला किया

सुत्रो के अनुसार ये पता चला है की लालरिंगथारा को टेलीविजन समाचार रिपोर्ट्स को समझने और एप्लिकेशन लिखने के अपनी अंग्रेजी में सुधार करने के लिए उन्होंने ने अपनी इस उम्र मे कक्षा 9 में Admission लेने का फैसला किया है। बता दे की लालरिंगथारा का जन्म साल 1945 में भारत-म्यांमार सीमा के पास खुआंगलेंग गांव में हुआ था। जहां अपने पिता की उचित समय से पहले मृत्यु के बाद उन्हें मजबुरी मे कक्षा 2 के बाद स्कूल छोड़ने पड़ा थे। लालरिंगथारा खेतों में अपनी मां की मदद करके परिवार का पेट भरा करते थे। वही वो गरीबी और लगातार स्थानांतरण के कारण वो अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके थे। बता दे की अब वो अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए रोजाना तीन km की दूरी तय कर स्कूल जाते हैं।

आपको जान कर हैरानी होगी की ऐसा पहली बार नहीं है, कि जब लालरिंगथारा हर खबरों में छाए हों, वो इससे पहले साल 2018 में न्यू ह्रुआइकॉन मिडिल स्कूल में कक्षा 5वीं में दाखिला लिया थे, जिसके बाद लालरिंगथारा ने 2018 में एक इंटरव्यू में एक सामचार पत्रिका को बताया था, की मुझे मिजो भाषा में पढ़ने या लिखने में कोई समस्या नहीं होती है, साथ ही वो ये बताए की शिक्षा के प्रति मेरी इच्छा अंग्रेजी भाषा सीखने के मेरे जुनून से प्रेरित हुई है। आजकल, साहित्य में भी कुछ अंग्रेजी शब्द आते हैं, जो अकसर मुझे कन्फ्यूज कर देते हैं, इसलिए मैंने अपने ज्ञान को बेहतर बनाने के लिए स्कूल वापस जाने का फैसला लिया है, खासकर अंग्रेजी भाषा को सीखने के लिए हमने Admission लेने का फैसला किया है।

हेडमास्टर ने लालरिंगथारा के दृढ़ संकल्प की तारीफ की …

न्यू ह्रुइकावन मिडिल स्कूल, वनलालकिमा के हेडमास्टर इंचार्ज ने लालरिंगथारा के इस समर्पण और दृढ़ संकल्प की काफी तारीफ की थी। उन्होंने साल 2018 में एक न्यूज आउटलेट से कहा था, की लालरिंगथारा छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए समान रूप से प्रेरणा और चुनौती दोनों है। सीखने का जुनून रखने वाला शख्स उस सभी तरह के समर्थन का हकदार होता है, जो उसे प्रदान किया जा सकता है।

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