Bilkis Bano Case में 5 दोषियों ने SC का खटखटाया दरवाजा,सरेंडर के लिए मांगा समय

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Bilkis Bano: बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों में से 5 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए दोषियों ने समर्पण की समय सीमा को बढ़ाने की मांग की है। तीनों दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट से समर्पण की समय सीमा को बढ़ाने की मांग की है। इससे पहले 8 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस में बहुत ही अहम फैसला सुनाया था।

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समर्पण की अवधि बढ़ाने की मांग की

बता दे कि 11 दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर समर्पण की अवधि बढ़ाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट से गोविंद नाई ने 4 सप्ताह, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 सप्ताह की मोहलत मांगी है। साल 2002 में गुजरात का बिलकिस बानो केस काफी ज्यादा चर्चित है। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। साथ ही SC ने अपने फैसले में दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा था।

8 जनवरी को हुई थी मामले की सुनवाई

आपको बता दे कि 8 जनवरी को मामले में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ फैसला सुनाया। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी दोषियों की सजा में मिली छूट को रद्द कर दिया। गुजरात सरकार ने पिछले साल मामले में 11 दोषियों को रिहा किया था। अब कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को वापस जेल जाना होगा। पीठ ने गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए कहा कि गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग सत्ता पर कब्जा और सत्ता के दुरुपयोग का एक उदाहरण है।

क्या कहा था SC ने

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही पीठ ने कहा कि यह इस अदालत का कर्तव्य है कि वह मनमाने आदेशों को जल्द से जल्द सही करे और जनता के विश्वास की नींव को बरकरार रखे।

जानें क्या था मामला…

मामला साल 2002 का है, जब गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती कोच को जला दिया गया था, जिसके बाद दंगे फैल गए थे। इसी दंगो के चपेट में बिलकिस बानों का परिवार भी चपेट में आ गया। उस समय बिलकिस बानो 21 साल की थी, और वह पांच महीने की गर्भवती थीं, जब भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन 7 सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी।

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