Bahraich में भेड़ियों का आतंक 1950 के दौर जैसा, 74 साल बाद फिर वही खौफनाक मंजर…आखिर क्यों बढ़ रहा है जंगली जानवरों का खतरा?

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
wolves in bahraich

Bahraich Wolf Attack: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भेड़ियों का आतंक चरम पर है। अब तक आदमखोर भेड़िए 10 लोगों की जान ले चुके हैं, जबकि 40 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। इस भयावह स्थिति ने स्थानीय प्रशासन और सरकार को चिंता में डाल दिया है। जिले में करीब 100 भेड़ियों की मौजूदगी की आशंका जताई जा रही है, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए वन विभाग को भेड़ियों पर काबू पाने के लिए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, ड्रोन कैमरों से निगरानी और भेड़ियों को मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं। भले ही चार भेड़िए अब तक पकड़े जा चुके हैं, लेकिन हमलों का सिलसिला जारी है। बहराइच के अलावा अन्य जिलों से भी भेड़ियों के हमलों की खबरें आ रही हैं, जो राज्य सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।

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74 साल बाद फिर दोहराया जा रहा इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब भेड़ियों ने उत्तर प्रदेश में आतंक मचाया है। 74 साल पहले, 1950 में भी भेड़ियों का आतंक इतना बढ़ गया था कि उन्हें मारने के लिए सेना तक को उतारना पड़ा था। लखनऊ, आगरा और प्रदेश के अन्य हिस्सों में भेड़ियों ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली थी। उस समय, प्रदेश में 100 से अधिक भेड़ियों का खात्मा करने के लिए फौज और पुलिस ने मिलकर अभियान चलाया था।

1950 में लखनऊ के डीएम बंगले में भी भेड़िए घुस गए थे, जहां उन्हें पुलिस ने घेरकर मार गिराया था। इसी तरह आगरा में भी तत्कालीन डीएम के बंगले में घुसे भेड़िए को गोली मारकर मारा गया था। 1977 में जौनपुर में भी भेड़ियों का ऐसा ही आतंक देखने को मिला था, जब 42 बच्चों की जान गई थी।

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घाघरा के कछार में मिले भेड़ियों के ठिकाने

बहराइच जिले के पचदेवरी गांव में घाघरा नदी के कछार में भेड़ियों के ठिकाने की जानकारी मिली है। वन विभाग की टीम ने भेड़ियों की घेराबंदी कर दी है और ड्रोन से लगातार निगरानी की जा रही है। डीएफओ अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि टीम भेड़ियों की तलाश में लगी हुई है और जल्द ही इन्हें पकड़ने की योजना बनाई जा रही है।

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क्यों बढ़ रहा है खतरा?

भेड़ियों के इस बढ़ते आतंक के पीछे का सबसे बड़ा कारण है जंगलों का सिकुड़ना। वन्य जीवों के जीवन के लिए जंगल का होना बहुत जरूरी है, लेकिन लगातार बढ़ती आबादी और शहरीकरण के कारण जंगलों पर कब्जा होता जा रहा है। जब वन्य क्षेत्र कम होते हैं, तो जानवरों के लिए भोजन और सुरक्षित आवास की कमी हो जाती है, जिससे वे मजबूरन इंसानी बस्तियों की ओर रुख करते हैं।

उत्तर प्रदेश में लगातार वन क्षेत्र पर कब्जा किया जा रहा है, जिससे भेड़िए जैसे जंगली जानवर इंसानी इलाकों में घुसने लगे हैं। साल 2022 में 54 फीसदी तेंदुए और बाघ अभ्यारण्य से बाहर आ चुके हैं, और 2023 में 10 फीसदी टाइगर्स की मौत इंसानों के हमलों के कारण हुई हैं। वन भूमि के सिकुड़ने से वन्यजीवों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है।

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इतिहास के पन्नों में भी भेड़ियों का आतंक दर्ज

1950 से लेकर 2023 तक, भेड़ियों के हमले उत्तर प्रदेश में एक गंभीर समस्या बने रहे हैं। 1950 में, यूपी के विभिन्न इलाकों में भेड़ियों ने एक ही रात में लखनऊ में तीन लोगों को मार डाला था। इसके बाद, राज्य सरकार को फौज और 400 से अधिक शिकारियों के साथ मिलकर अभियान चलाना पड़ा। उस समय 25 दिनों तक लगातार संघर्ष के बाद भेड़ियों को मार गिराया गया था।

1977 में जौनपुर में भेड़ियों ने 42 बच्चों की जान ली थी, जिसके बाद आठ महीने तक ऑपरेशन चलाकर उन्हें मारा गया था। उस समय तकनीक की कमी थी, इसलिए भेड़ियों को मैप के जरिए ट्रैक किया जाता था। आज के समय में, ड्रोन और अन्य आधुनिक तकनीकों की मदद से भेड़ियों की निगरानी और घेराबंदी की जा रही है।

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भेड़ियों का आतंक: कारण और निवारण

भेड़ियों के हमलों का सबसे बड़ा कारण उनका जंगलों से बाहर आना है। जब उनके प्राकृतिक आवासों पर कब्जा किया जाता है और उनके भोजन की कमी होती है, तो वे इंसानी बस्तियों में घुसने लगते हैं। इससे न सिर्फ जानवरों का जीवन खतरे में पड़ता है, बल्कि इंसान भी उनके हमलों का शिकार बनते हैं।

इस समस्या का समाधान केवल भेड़ियों को मारने से नहीं होगा, बल्कि इसके लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी। वन क्षेत्रों का विस्तार करना, शहरीकरण को नियंत्रित करना और वन्य जीवों के लिए सुरक्षित क्षेत्र सुनिश्चित करना जरूरी है। इसके साथ ही, स्थानीय लोगों को सतर्क रहने और वन्य जीवों के हमलों से बचने के लिए सावधानियां बरतने की जरूरत है।

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भेड़ियों के हमलों से बचने के उपाय

  1. रात के समय बाहर न निकलें: भेड़ियों के हमले अधिकतर रात के समय होते हैं, इसलिए अंधेरा होते ही घर के अंदर रहें और अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को अच्छी तरह से बंद रखें।
  2. झुंड में रहें: अगर किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ता है तो अकेले न जाएं, हमेशा समूह में निकलें। इससे भेड़िए का हमला करने का खतरा कम होता है।
  3. आवाज पैदा करें: भेड़िए शोर-शराबे से दूर भागते हैं, इसलिए अगर आसपास भेड़िए की उपस्थिति का शक हो तो ढोल, थाली या अन्य चीजों से आवाज करें।
  4. लाइट का प्रयोग करें: अपने घर के आसपास पर्याप्त रोशनी रखें। भेड़िए अंधेरे में हमला करने की कोशिश करते हैं, इसलिए लाइट से वे डर सकते हैं।
  5. पशुओं का ध्यान रखें: भेड़िए अक्सर पालतू जानवरों पर भी हमला करते हैं। इसलिए अपने पशुओं को सुरक्षित स्थान पर रखें और रात के समय उन्हें बाहर न छोड़े।

बहराइच में भेड़ियों का आतंक सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। जंगलों के सिकुड़ने, शहरीकरण और वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों के खत्म होने के कारण जंगली जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए वन क्षेत्रों का संरक्षण और विस्तार जरूरी है, साथ ही लोगों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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