65 लाख रुपये की करेंसी नोटों और सिक्कों से मंदिर को सजाया..

Mona Jha
By Mona Jha

Ganesh Temple : इस साल 19 सितंबर को बपा पधार रहे हैं। बता दे कि हिन्दू धर्म में गणेश पुजा को बडें धुम धामं से मनाया जाता है। ये समय होता है खुशी, भक्ति और स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाने और खाने का।इसके साथ हर कोई गणपति बप्पा की भक्ति में लीन नजर आ रहा है। देशभर में गणेश चतुर्थी के दिन से ही दस दिन के गणेश उत्सव का शुभारंभ होता है, और अनंत चतुदर्शी को इसका समापन होता है।वहीं कर्नाटक के बेंगलुरु में एक मंदिर का अद्भुत नजारा देखने को मिला है।जहां 65 लाख रुपये की करेंसी नोटों और सिक्कों से मंदिर को सजाया गया है। वहीं श्री सत्य गणपति मंदिर जेपी नगर में स्थित है।

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इस मंदिर का अलग नजारा देखने को मिला

बता दे कि यहां मंदिर हर साल गणेश पूजा उत्सव के दौरान कुछ अनोखा प्रदर्शित होता है। वहीं इस मंदिर में 10 20 50 और 500 रुपये से लेकर सैकड़ों सिक्कों का उपयोग किया गया है। बता दे कि देश के लगभग हर मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्तियों को अद्भुत तरीके से सजाया जा रहा है। वहीं आपको देश के इन राज्यों में गणेश उत्सव का अलग उत्साह देखने को मिलता है।

वहीं बेंगलुरु के एक मंदिर की तो वहां लगभग 11 सालों से गणेश उत्सव से पहले भगवान गणेश की मूर्ति से लेकर मंदिर तक को अनोखे तरीके से सजाया गया है। वहीं इस साल भी इस मंदिर का अलग नजारा देखने को मिला।

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65 लाख रुपये के करेंसी नोटों और सिक्कों से सजाया

गणेश चतुर्थी उत्सव से पहले, बेंगलुरु के जेपी नगर में स्थित श्री सत्य गणपति मंदिर को 65 लाख रुपये के करेंसी नोटों और सिक्कों से सजाया गया है। वहीं हर साल ये मंदिर गणेश पूजा उत्सव के दौरान अपने परिसर को अनूठा पेश करती है। वहीं इस मंदिर को 10, 20, 50 से लेकर 500 तक के सैकड़ों सिक्कों और करेंसी नोटों से मंदिर सजाया गया है।पिछले कुछ वर्षों में, मंदिर ने गणेश चतुर्थी समारोह के हिस्से के रूप में गणपति की मूर्ति को सजाने के लिए फूल, मक्का और कच्चे केले जैसी पर्यावरण-अनुकूल वस्तुओं का भी उपयोग किया है।

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गणेश जी की मूर्ति से जुड़ी जरूरी बातें

  • गंगा या किसी भी पवित्र नदी की मिट्टी के साथ शमी या पीपल के जड़ की मिट्टी से मूर्ति बना सकते हैं। जहां से भी मिट्‌टी लें, वहां ऊपर से चार अंगुल हटाकर, अंदर की मिट्टी इस्तेमाल करें।
  • मिट्टी के अलावा गाय के गोबर, सुपारी, सफेद मदार की जड़, नारियल, हल्दी, चांदी, पीतल, तांबा और स्फटिक से बनी मूर्तियों की भी स्थापना कर सकते हैं।
  • मिट्टी में स्वाभाविक पवित्रता होती है। इसमें भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश के अंश होने से ये पंचतत्वों से बनी होती है। देवी पार्वती ने भी मिट्टी का ही पुतला बनाया था, फिर शिव जी ने उसमें प्राण डाले। वो ही गणेश बने।

  • घर में हथेली भर के गणेशजी स्थापित करने चाहिए। ग्रंथों के माप के मुताबिक मूर्ति 12 अंगुल यानी तकरीबन 7 से 9 इंच तक की हो। इससे ऊंची घर में नहीं होनी चाहिए।
  • मंदिरों और पंडालों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। बैठे हुए गणेश घर में और खड़े गणपति ऑफिस, दुकान, कारखानों के लिए शुभ होते हैं।
  • पूर्व, उत्तर या ईशान कोण में ( उत्तर-पूर्व के बीच ) मूर्ति रखें। ब्रह्म स्थान यानी घर के बीच में खाली जगह पर भी स्थापना कर सकते हैं। बेडरूम में, सीढ़ियों के नीचे और बाथरुम के नजदीक मूर्ति स्थापना न करें।
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