SC ने कहा-“महिला के स्त्रीधन पर पति का भी अधिकार नही, हक जताने पति पर IPC की धारा 406 के तहत हो सकता है मुकदमा”

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Supreme Court Ruling On Stridhan: लोकसभा चुनाव के बीच इन दिनों मंगलसूत्र को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मुकदमे में अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि, ‘स्त्रीधन’ दंपत्ति की संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती है और पति का अपनी पत्नी की संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं है. हालांकि वो अपने मुसीबत के समय स्त्रीधन का इस्तेमाल तो कर सकता है, लेकिन बाद में उसे वापस लौटाना होगा.

Read More:EVM-VVPAT मिलान पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला,जानें क्या कहा?

महिला को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार है

वैवाहिक विवाद मामले पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्त्रीधन को लेकर कहा कि, ‘महिला को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार है, जिसमें शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में मिलीं हुईं सभी चीज़ें शामिल हैं, जैसे कि माता-पिता, ससुराल वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिले उपहार – धन, गहने, जमीन, बर्तन आदि.’

Read More:इन राज्यों में आज और कल होगी बारिश,तो यहां चलेगी हीटवेव..

बेंच ने क्या कहा?

स्त्रीधन को लेकर वैवाहिक विवाद मामले में सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि, ‘ये महिला की पूर्ण संपत्ति है और उसे अपने इच्छानुसार बेचने या रखने का पूरा अधिकार है. पति का उसकी इस संपत्ति पर कोई नियंत्रण नहीं है. हालांकि वो मुसीबत के समय इसका इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन फिर भी, उसका ये दायित्व है कि वो उसी संपत्ति या उसके मूल्य को अपनी पत्नी को वापस कर दे. इसलिए, स्त्रीधन पति-पत्नी की संयुक्त संपत्ति नहीं बनती है और पति के पास इसका स्वामित्व या स्वतंत्र अधिकार नहीं है.’

Read More:शादी के घर में लगी भीषण आग,एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत,गांव में पसरा मातम..

IPC की धारा 406 के तहत दर्ज कराया जा सकता है मुकदमा

सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि, “अगर स्त्रीधन का बेईमानी से दुरुपयोग किया जाता है तो पति या उसके परिवार के सदस्यों पर IPC की धारा 406 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है. इस दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि, ऐसे मामलों में फैसला अपराधिक मामलों की तरह ठोस सबूतों के आधार पर नहीं, बल्कि इस बात की संभावना के आधार पर किया जाना चाहिए कि पत्नी का दावा ज्यादा मजबूत है.

Read More:Mahadev सट्टेबाजी ऐप का STF ने किया भंडाफोड़,मास्टरमाइंड के चचेरे भाई समेत दो गिरफ्तार..

आखिर क्या है मामला?

दरअसल, एक महिला ने ये दावा किया था कि 2003 में शादी की पहली ही रात को उसके पति ने उसके सारे गहने ने सास के पास सुरक्षित रखने के लिए ले लिए थे और वहीं, रिश्ते में दरार आने के बाद उसने अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया था. जिसमें पारिवारिक अदालत ने 2009 में महिला के पक्ष में फैसला सुनाया और उसके पति को उसे 8.9 लाख रुपये देने का आदेश दिया, लेकिन इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि पत्नी ये साबित करने में असफल रही है कि उसका ‘स्त्रीधन’ उसके पति ने लिया था.

Read More:दसरे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले महाराष्ट्र के CM शिंदे ने उध्दव ठाकरे पर लगाया गंभीर आरोप….

Share This Article
Exit mobile version