लुटेरी पुलिस को सस्पेंड के बाद अब किया गया बर्खास्त

Laxmi Mishra
By Laxmi Mishra
लुटेरी पुलिस को सस्पेंड के बाद अब किया गया बर्खास्त

Lucknow: यूं तो पुलिस का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में तमाम सोच इर्द गिर्द मंडराने लगती हैं।कभी हम अपराधियों का सफाया करते हुए सुनते हैं तो कभी फेक एनकाउंटर की खबरें अखबार की सुर्खियां बन जाती हैं।

आज हम बात करेंगे यूपी पुलिस के कानपुर देहात पुलिस जो अपने फायदे के लिए चेकिंग के नाम पर बांदा के व्यापारी से 50 किलो चांदी लूट लेती हैं।लूट का पूरा खेल व्यापारी मनीष सोनी की दुकान पर काम करने वाला कर्मचारी संजय टोपी ने इंस्पेक्टर, दारोगा और हेड कांस्टेबल के साथ मिलकर रची थी।मनीष ने उसकी संदिग्ध गतिविधि और दुकान में गलत नज़र रखने की वजह से उसे आठ महीने ही निकाल दिया था और वो बेरोजगार हो चुका था।

घटना बीती 6 जून की हैं और इस पूरे घटनाक्रम में व्यापारी मनीष सोनी द्वारा तीनों पुलिस कर्मी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई ।मामला विभाग का होने की वजह से पुलिस फौरन हरकत में आई और औरैया की एसपी चारु निगम और कानपुर देहात एसपी टीएस मूर्ति ने टीम के साथ आरोपी इंस्पेक्टर के सरकार आवास पर छापा मारा और लूटी हुई 50 किलो चांदी भी बरामद कर ली।आरोपी इंस्पेक्टर, दारोगा और हेड कांस्टेबल को जिम्मेदार ठहराते हुए सस्पेंड कर दिया गया था।

घटना को गंभीरता से लेते हुए एडीजी जोन आलोक सिंह ने तीनों के खिलाफ जांच के आदेश दिए और दोषी पाए जाने पर इन सभी को अब बर्खास्त कर दिया गया हैं।मामले में फरार चल रहे हेड कांस्टेबल की तलाश जारी हैं और पुलिस के अनुसार बहुत जल्द ही तीसरे आरोपी की भी जल्द गिरफ्तारी होगी ।

सुरक्षा करने वाले हाथों द्वारा जब ऐसी घटना होती हैं तो हम किस पर भरोसा कर सकते हैं।इससे पहले भी कानपुर पुलिस द्वारा बीते एक साल के अंदर कई ऐसी वारदातें सामने आ चुकी हैं जिसने वर्दी को कठघरे में खड़ा कर दिया हैं।कोई अपहरण कर के फिरौती मांगता हैं, तो कोई साइबर क्राइम के पूरे खेल की रचना करता हैं।बहरहाल एक बात तो सामने आती हैं कि कुछ भ्रष्ट पुलिस कर्मियों की वजह से पूरा विभाग सवालों के घेरे में खड़ा हो जाता हैं।

भ्रष्ट कर्मियों को अब बर्खास्त तो कर दिया गया हैं लेकिन एक गहरी सच्चाई ये भी हैं कि अगर ऐसे वर्दीधारी विभाग में रहेंगे तो किरकिरी और बदनामी होना पूरी तरह से संभव हैं।हाल फिलहाल शातिर अपराधियों की तरह लूट की वारदात को अंजाम देना और कहीं ना कहीं सिस्टम के फेलियर को भी बयां करता हैं।

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