रेरा की वो हकीकत जो आपके आशियाने पर डालती है असर

रेरा की वो हकीकत

Laxmi Mishra
By Laxmi Mishra
Highlights
  • चलो तो सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर रेरा है क्या

यूपी ब्यूरो चीफ- गौरव श्रीवास्तव
यूपी रेरा: हर इंसान का सपना होता है कि अपना छोटा सा आशियाना जरूर बनाये जहाँ उनके बच्चों का बचपन भी हो और बुढ़ापे का आधार भी जहाँ किसी की आने की ख़ुशी भी हो तो किसी के जाने का गम भी। जहाँ जिंदगी के संघर्ष भी हो और जिंदगी के अहम् पड़ाव भी। और इसलिए ही हर व्यक्ति जिंदगी भर मेहनत करके पाई पाई जोड़कर एक घरोंदा या आशियाना खरीदते हैं।

और जब किसी व्यक्ति की मेहनत की गाढ़ी कमाई के साथ कोई खिलवाड़ करता है ठगी करता है तो अमूनन उसको न्यायालय की शरण में जाना पड़ता है। और इन्ही कुछ परेशानियों और आम आदमी के दर्द को कम करने के लिए ही रेरा को लाया गया।

पर आम जनता को रेरा के बारे में सटीक जानकारी का अब भी अभाव है.आम रियल एस्टेट खरीददार समझ ही नहीं पाए हैं कि रेरा उनके लिए कितना जरुरी है। और रेरा आज के समय में रियल एस्टेट खरीददारो के लिए एक अचूक हथियार बन चुका है और न जाने कितने मामले सामने आ चुके हैं जिसमे रेरा ने अपनी महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका दिखाते हुए लोगों के साथ न्याय किया है। रेरा के बारे में इतनी बात हो गयी है।

रेरा पर बात करने के लिए रियल एस्टेट को जान लेते हैं

भारत में रियल एस्टेट पांच तरह के हैं

  • भूखंड रियल एस्टेट
  • आवासीय रियल एस्टेट
  • व्यावसायिक रियल एस्टेट
  • औद्योगिक रियल एस्टेट
  • सरकारी रियल एस्टेट

चलो तो सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर रेरा है क्या

स्थावर सम्पदा क्षेत्र के लिए कानून का प्रस्ताव पहली बार जनवरी, 2009 में राज्यों एवं संघ क्षेत्रों के आवास मंत्रियों की राष्ट्रीय बैठक में पारित किया गया था। आवासीय और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने आठ बर्ष के लम्बे संघर्ष के बाद रेरा रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट) जो अलग अलग राज्य में अलग नियमो के साथ कार्यपालित है।

ये भारतीय संसद का एक अधिनियम है जो घरेलू खरीददारों की रक्षा करने के साथ-साथ (रियल एस्टेट) में पूँजी निवेश को बढ़ावा देने में मदद करता है। राज्यसभा में 10 मार्च 2016 को और लोकसभा में 15 मार्च 2016 को पारित हुआ था। इसकी 92 में से 69 धाराओं को लागू करते हुए इस अधिनियम को 01 मई 2016 से लागू कर दिया गया।

  • तो अब हमने जाना क्या है रेरा यानि रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट
  • अब जानते हैं क्या हैं रेरा यानि रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट के नियम

इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं –

  • राज्य स्तर पर ‘रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण’ (RERA) के गठन का प्रावधान।
  • त्वरित न्यायाधिकरणों द्वारा विवादों का 60 दिन के भीतर समाधान।
  • 500 वर्ग मीटर या 8 अपार्टमेंट तक की निर्माण योजनाओं को छोड़कर सभी निर्माण योजनाओं को रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण में पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
  • ग्राहकों से ली गई 70 प्रतिशत धनराशि को अलग बैंक में रखने एवं उसका केवल निर्माण कार्य में प्रयोग का प्रावधान।

परियोजना संबंधी जानकारी जैसे-प्रोजेक्ट का ले-आउट, स्वीकृति, ठेकेदार एवं प्रोजेक्ट की मियाद का विवरण खरीददार को अनिवार्यतः देने का प्रावधान। पूर्वसूचित समय-सीमा में निर्माण कार्य पूरा न करने पर बिल्डर द्वारा उपभोक्ता को ब्याज के भुगतान का प्रावधान। यह उसी दर पर होगा जिस दर पर वह भुगतान में हुई चूक के लिए उपभोक्ता से ब्याज वसूलता।

रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के आदेश की अवहेलना की स्थिति में बिल्डर के लिए 3 वर्ष की सजा व जुर्माने का प्रावधान एवं रियल एस्टेट एजेंट और उपभोक्ता के लिए 1 वर्ष की सजा का प्रावधान।

अब बात कर लेते हैं यू पी रेरा की तो आपको बता दूँ कि उत्तर प्रदेश में भी एक रियल एस्टेट नियामक संस्था है जिसे UP RERA या यूपी रेरा के नाम से जाना जाता है। यह संस्था यानि देश में रेरा लागू होने के चार महीने बाद उत्तर प्रदेश में 27 अक्टूबर 2016 को स्थापित की गई, तथा इसका उद्देश्य रियल एस्टेट खरीदारों के हितों की रक्षा करने के साथ साथ प्रदेश में रियल एस्टेट उद्योग को बढ़ाबा देना है।

वैसे रेरा हर राज्य में अलग अलग नियमो से कार्यपालित है पर यूपी रेरा अपनी अलग ही पहचान रखता है उसका कारण है कि उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा आबादी वाला राज्य है।

  • यह रियल एस्टेट परियोजनाओं में पारदर्शिता लाता है।
  • घर खरीदारों के हितों की रक्षा हेतु एक त्वरित विवाद समाधान तंत्र स्थापित किया गया है।
  • इसकी ऑफिसियल वेबसाइट पर खरीदार बिल्डर या प्रमोटर के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
  • रियल एस्टेट विवाद के मामले में राज्य रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण से संपर्क किया जाना चाहिए।
  • प्राधिकरण आवासीय और व्यावसायिक दोनों तरह की प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री को नियंत्रित करता है।
  • सभी डेवलपर्स और रियल एस्टेट एजेंटों को RERA UP के साथ रजिस्ट्रेशन करना होगा। उन्हें परियोजना योजना, लेआउट, सरकारी अनुमोदन, जमीन के विलेख की स्थिति, उप-ठेकेदार आदि जैसी जानकारी प्रदान करनी होगी।
  • नियम के उल्लंघन के मामले में, अपीलीय न्यायाधिकरण तीन साल तक की जेल या दोनों का जुर्माना लगा सकता है।
  • परियोजना में देरी होने पर घर खरीदार को नुकसान नहीं होगा; इस मामले में, डेवलपर उपभोक्ता द्वारा भुगतान की गई समान EMI का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
  • 500 वर्ग मीटर या आठ अपार्टमेंट से अधिक की प्रत्येक परियोजना को UP RERA में रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है।

यहाँ हमने जाने यूपी रेरा के कुछ महत्वपूर्ण नियम जो आम जनता या खरीददार को राहत दने वाले हैं पर यहाँ हमको ये भी समझना होगा कि बिना रेरा से पंजीकृत आवासीय या व्यावसायिक प्रॉपर्टी को खरीदना नुकसान दे सकता है। इसलिए रियल एस्टेट कम्पनी की जानकारी करना भी आपके लिए जरुरी है और ये सब आपको यूपी रेरा की सरकारी वेबसाइट पर मिल सकती है।

अब हम रेरा की कुछ कमियों को जानेंगे…

  • रेरा की कोशिश होनी चाहिए कि ख़रीददार और विक्रेता के बीच किसी भी विवाद का हल जल्दी होना चाहिए।
  • समय से घर मुहैया न करने की स्थति में कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।
  • बिना पंजीकृत किसी भी आवासीय और व्यावसायिक योजनाओं पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
  • नियमो में कोई कोर कसर होने पर बिना किसी लापरवाही के संज्ञान लेते हुए कार्यवाही बड़ी होनी चाहिए।
  • सबसे बड़ी बात इतनी बड़ी बड़ी अवैध कालोनियां सम्बंधित जिलो के विकास प्राधिकरणों से संलिप्तत्ता करके विकसित की जा रही हैं उन पर रेरा की कार्यवाही बिना किसी गतिरोध होना चाहिए, और साथ ही साथ रेरा को उन विकास प्राधिकरणों के भ्रष्ट पर भी चाबुक चलाना होगा जो अवैध व्यवस्थाओ को सुचारु करने में लगे हुए हैं।

तो यहाँ हमने रेरा को जाना और साथ ही जानी यूपी रेरा की विशेषताएं और कमियां…

अब यहाँ जागना होगा आम जनता या खरीददार को कि किस तरह हमको समझना है कि रेरा हमारे लिए एक ऐसा हथियार है जिसके साथ में होने से हम कानूनी रूप से मजबूत तो होते ही हैं बल्कि हमको रियल एस्टेट क्षेत्र में अपनी समस्याओ के लिए किसी अन्य किसी विकल्प को नहीं तलाशना होगा।

Share This Article
Exit mobile version