Input: Sanjeev Pathak…
देश के नाम से INDIA हटाने का सवाल आया तो मानो हिन्दुस्तान के हजारों साल के इतिहास के पन्ने पलटने लगे और सियायत भी जोरों से होने लगी। वहीं इस भूखंड का नाम भारत कैसे हुआ? इस देश को सर्वप्रथम इंडिया किसने कहा? क्या प्रचलित धारणा के मुताबिक हमें अंग्रेजों ने सबसे पहले इंडिया नाम दिया? ऐसे कई सवाल जेहन में आने लगे संविधान में हमारे देश का नाम इंडिया और भारत दोनों ही है। हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद-1 में नाम को परिभाषित किया गया है इसमें कहा गया है कि ‘इंडिया दैट इज भारत यानी इंडिया ही भारत है।
हिन्द, हिन्दू, हिन्दवान, हिन्दुश…

इंडिया और भारत का विवाद खड़ा हुआ तो सियायत भी तेज हो गई। बता दें कि इंडिया शब्द का प्रयोग सबसे पहले ग्रीकों ने किया। दरअसल जब ईसा से 5वीं सदी पहले ग्रीक वासी सिंधु नदीं के किनारे आए तो या फिर जब फारस के लोगों से उनका संपर्क हुआ, तो उन्होंने सिंधु नदी के पार के लोगों को इंडस कहा। दरअसल ग्रीक सिंधु नदी के पार रहने वाले लोगों को हिन्दस कहना चाहते थे। बता दें कि सिंधु नदी के इस ओर रहने वाले लोगों को हिन्द, हिन्दू, हिन्दवान, हिन्दुश जैसी संज्ञाओं से बुलाया जाता था। इसी सिंधु से हिन्दू नाम प्रचलन में आया और इस देश का नाम हिन्दुस्तान पड़ा।
सिंधु नदी का इंडस नाम भारत आए…

वहीं ये बात हडप्पा सभ्यता के समय की है, और कुछ सौ सालों बाद जब ग्रीक और यूनानी अपने सैन्य अभियान के लिए भारत की ओर आना चाहते थे, तो उन्हें सिंधु नदी को पार करना था। अब ग्रीक पहले जिन लोगों को हिन्दस कहते थे उसे उन्होंने इंडस कहना शुरू किया। दरअसल सिंधु नदी को ही यूनानियों ने इंडस कहना शुरू किया। इस नदी के किनारे विकसित सभ्यता इंडस वैली सिविलाइजेशन कहलाई सिंधु नदी का इंडस नाम भारत आए विदेशियों ने रखा सिंधु सभ्यता के कारण भारत का पुराना नाम सिंधु भी था। जिसे यूनानी में इंडो या इंडस भी कहा जाता था। जब ये शब्द लैटिन भाषा में पहुंचा तो बदलकर इंडिया हो गया।
भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष…

बता दें प्राचीन काल से ही हमारे देश के अलग-अलग नाम रहे हैं। प्राचीन ग्रंथों में देश के अलग-अलग नाम लिखे गए जैसे जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभ वर्ष, आर्यावर्त तो वहीं अपने-अपने जमाने के इतिहासकारों ने हिंद, हिंदुस्तान, भारतवर्ष, इंडिया जैसे नाम दिए। लेकिन इनमें भारत सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा। तमाम स्रोतों से पता चलता है कि विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र है, कि ‘समुद्र के उत्तर से लेकर हिमालय के दक्षिण तक भारत की सीमाएं निहित हैं।
विष्णु पुराण कहता है, कि जब ऋषभदेव ने नग्न होकर गले में बांट बांधकर वन प्रस्थान किया। तो अपने ज्येष्ठ पुत्र भरत को उत्तराधिकार दिया। जिससे इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ गया। हम भारतीय आम बोलचाल में भी इस तथ्य को बार-बार दोहराते हैं, कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारा पूरा राष्ट्र बसता है, ये भारत का एक छोर से दूसरा छोर है।
‘इंडिया, दैट इज भारत’ यानी ‘ इंडिया अर्थात भारत’

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत को लेकर दी गई जिस परिभाषा में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ यानी ‘ इंडिया अर्थात भारत’ के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उसमें से सरकार ‘इंडिया’ शब्द को निकालकर सिर्फ ‘भारत’ शब्द को ही रहने देने पर विचार कर रही है। साल 2020 में भी इसी तरह की कवायद शुरू हुई थी। संविधान से ‘इंडिया’ शब्द हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी, कि इंडिया शब्द गुलामी की निशानी है, और इसीलिए उसकी जगह भारत या हिंदुस्तान का इस्तेमाल होना चाहिए। अंग्रेजी नाम का हटना भले ही प्रतीकात्मक होगा। लेकिन यह हमारी राष्ट्रीयता, खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा। हालांकि तब कोर्ट ने ये कहकर याचिका खारिज कर दी थी कि, हम ये नहीं कर सकते क्योंकि पहले ही संविधान में भारत नाम ही कहा गया है।
सत्ताधारी बीजेपी पर हमला…
2024 में लोकसभा चुनाव होने है, जिसको लेकर विपक्ष ने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन किया है। वहीं अब जब देश का नाम बदलने की बात की जा रही है, तो विपक्ष ने सत्ताधारी बीजेपी पर हमला करते हुए कहा है कि बीजेपी विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से डर गई है। जिसके चलते अब देश का नाम बदलने को लेकर कवायद तेज कर दी है। वहीं अब देखना यह होगा की देश का नाम बदलने से बीजेपी को कितना फायदा मिलेगा या फिर विपक्ष बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने में कामयाब होगी।