Prime Chaupal: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे गोसाईगंज तहसील के गांव रसूलपुर टिकनियामऊ की स्थिति ने ग्रामीण विकास के दावों की पोल खोल कर रख दी है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी यह गांव न केवल विकास से वंचित है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी उपलब्ध नहीं है। आवास, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सुविधाएं नदारद हैं। जब राजधानी के पास स्थित गांव की यह हालत है, तो सोचिए दूरदराज के इलाकों का क्या हाल होगा।
टूटी सड़कें, गंदगी और नालियों की दुर्दशा

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में न सड़कों की मरम्मत हुई है और न ही नालियों का निर्माण सही तरीके से किया गया है। जगह-जगह टूटी सड़कों पर गड्ढे और कूड़े का ढेर पड़ा हुआ है। इन हालातों में रोजमर्रा की ज़िंदगी एक संघर्ष बन चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन न तो प्रशासन ने सुना और न ही जनप्रतिनिधियों ने कोई ध्यान दिया।
सरकारी योजनाओं का दावा सिर्फ कागजों तक

चाहे केंद्र की मोदी सरकार हो या उत्तर प्रदेश की योगी सरकार, दोनों ही ग्रामीण विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे करती हैं। योजनाएं बनती हैं, घोषणाएं होती हैं, लेकिन गांव तक पहुंचने से पहले ही सब कुछ भ्रष्ट सिस्टम की भेंट चढ़ जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जितना पैसा गांव के विकास के लिए आता है, उसका एक बड़ा हिस्सा अफसरशाही और बिचौलियों में बंट जाता है। इसका नतीजा यह है कि गांव जस का तस पड़ा हुआ है।
नालियों से नहीं होता जल निकासी

गांव में बनाई गई नालियां जल निकासी के काम नहीं आ रहीं, बल्कि खुद एक समस्या बन गई हैं। गंदगी और जलजमाव से बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। स्कूलों में ताले लगे हैं और बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह ठप है। देश के भविष्य कहे जाने वाले ये बच्चे शिक्षा के बिना अपना भविष्य अंधकार में देख रहे हैं। शिक्षा का ऐसा हाल देखकर ग्रामीण बेहद निराश हैं।
संविधान और सरकारी आदेशों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां

गांव की हालत देखकर साफ है कि यहां संविधान के मूल अधिकारों और सरकारी आदेशों की कोई अहमियत नहीं है। सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच रहा। जिन लोगों को आवास और राशन जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं, वे आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार ने गांव को जीते जी विकास से काट दिया है।
हमारी प्राइम टीवी की टीम ने यह संकल्प लिया है कि जब तक सरकार द्वारा भेजे गए विकास के पैसे गरीबों तक नहीं पहुंचेंगे, तब तक हमारी मुहिम जारी रहेगी। यह केवल एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे देश की तस्वीर है, जिसे बदलना अब आवश्यक हो गया है। देखना यह है कि सरकारें कब जागेंगी और कब तक गांव के लोग विकास से वंचित रहेंगे।
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