Thailand same-sex marriage: थाईलैंड बना दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला समलैंगिक विवाह मान्यता देने वाला देश

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Thailand same-sex marriage

Thailand same-sex marriage: थाईलैंड के राजा ने जून महीने में संसद द्वारा पारित विवाह समानता विधेयक का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला देश बन गया है जो समलैंगिक जोड़ों के विवाह को मान्यता देता है। मंगलवार की रात को आधिकारिक शाही राजपत्र में इस शाही समर्थन की घोषणा की गई, जिसके बाद यह विधेयक अगले 120 दिनों में प्रभावी हो जाएगा।

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दो दशकों की मेहनत का मिला परिणाम

समलैंगिक विवाह के अधिकार के लिए थाईलैंड में लंबे समय से चल रही मांग को आखिरकार सफलता मिली है। पिछले दो दशकों में इसके लिए किए गए प्रयासों के बाद, यह विधेयक इस साल जून में संसद द्वारा पारित हुआ। इसे कार्यकर्ताओं की बड़ी जीत माना जा रहा है। थाईलैंड, जो एशिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है, पहले से ही अपनी LGBTQ संस्कृति और सहिष्णुता के लिए जाना जाता है।

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पूरे एशिया में तीसरा देश

ताइवान और नेपाल के बाद, थाईलैंड एशिया का तीसरा ऐसा देश बन गया है जहां समलैंगिक जोड़े विवाह बंधन में बंध सकते हैं। स्थानीय मीडिया में आए जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि समान विवाह के लिए थाईलैंड की जनता का भारी समर्थन है। हालांकि, बौद्ध बहुल इस देश में पारंपरिक और रूढ़िवादी मूल्य अब भी प्रभावी हैं। LGBTQ समुदाय के सदस्य बताते हैं कि उन्हें अभी भी रोजमर्रा की जिंदगी में भेदभाव और बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

ऐतिहासिक कदम: LGBTQ+ अधिकारों का नया अध्याय शुरू

यह विधेयक LGBTQ+ जोड़ों को वही कानूनी अधिकार प्रदान करता है जो विषमलैंगिक जोड़ों को प्राप्त हैं, जिसमें विरासत, गोद लेने और स्वास्थ्य देखभाल के निर्णय लेने के अधिकार शामिल हैं। पन्याफॉन फिफाटखुनारनॉन, जो थाईलैंड में LGBTQ+ समानता के लिए अभियान चलाने वाले NGO “लव फाउंडेशन” के संस्थापक हैं, ने कहा, “इस विधेयक का संभावित प्रभाव बहुत बड़ा है। यह न केवल अनगिनत जोड़ों के जीवन को बदल देगा, बल्कि सभी के लिए एक अधिक न्यायपूर्ण और समान समाज में योगदान देगा।”

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समावेशिता का मिलेगा शक्तिशाली संदेश

इस विधेयक के पारित होने का एक महत्वपूर्ण असर यह होगा कि यह स्वीकृति और समावेशिता का एक शक्तिशाली संदेश भेजेगा। यह युवा पीढ़ी को अपनी असली पहचान के साथ खुलकर जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा। थाईलैंड की इस प्रगति ने इसे एक समावेशी देश के रूप में स्थापित किया है, जो पर्यटकों और व्यवसायों को आकर्षित करने के साथ-साथ एक सकारात्मक सांस्कृतिक परिवर्तन को बढ़ावा देगा।

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भारत में समान लिंग विवाह की मांग का संघर्ष अब भी जारी

भारत में भी समान लिंग विवाह की मांग को लेकर संघर्ष चल रहा है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट ने कहा है कि यह विधायिका का कार्य है। इस मुद्दे पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके अलावा, हांगकांग की शीर्ष अदालत भी विवाह के पूर्ण अधिकार देने के मामले में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है।

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समलैंगिक विवाह के अधिकार की वैश्विक मांग

दुनिया के कई देशों में समलैंगिक विवाह के अधिकार को लेकर आंदोलन जारी हैं। नीदरलैंड, जो 2001 में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला पहला देश बना था, उसके बाद 30 से अधिक देशों ने समान अधिकारों को मान्यता दी है। थाईलैंड का यह विधेयक न केवल उसके भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर LGBTQ+ अधिकारों के लिए एक नई उम्मीद का संकेत है। इस प्रकार, थाईलैंड ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जो न केवल LGBTQ+ समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद जगाता है।

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