Thailand Cambodia Clash: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चल रहा सीमा विवाद अब और भी गंभीर होता जा रहा है। रविवार तड़के दोनों देशों की सेनाएं एक बार फिर आमने-सामने आ गईं और भीषण गोलीबारी और तोपों से हमला शुरू हो गया। यह तब हो रहा है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय और स्वयं कंबोडिया की ओर से लगातार युद्धविराम के लिए आह्वान किया जा रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत यह बयां कर रहा हैं कि कूटनीतिक प्रयासों का अभी तक कोई ठोस असर नहीं पड़ा है।
सीजफायर अपीलों की अनदेखी, तनाव में नहीं आई कमी
संयुक्त राष्ट्र में कंबोडिया की ओर से बिना शर्त युद्धविराम की मांग के बावजूद थाईलैंड की ओर से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला है। नतीजतन दोनों देशों की सेनाओं ने अपने मोर्चे पर डटी हुई हैं। एक बार फिर रविवार की सुबह गोलियों और धमाकों की आवाजों से सीमा क्षेत्र फिर थर्रा उठा। लगातार चौथे दिन जारी इस संघर्ष ने अब एक व्यापक मानवीय संकट का रूप ले लिया है।
सम्रोंग शहर बना गोलाबारी का केंद्र, दहशत में लोग
सीमा से लगभग 20 किलोमीटर भीतर स्थित कंबोडिया का सम्रोंग शहर रविवार को गोलाबारी की गूंज से दहल उठा। भारी तोपों और हथियारों की आवाजें शहरवासियों के लिए खौफनाक बन गईं। लोग घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों की तलाश में भागने लगे। शहर में स्कूल, अस्पताल और बाजार बंद हो गए हैं और सामान्य जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है।
सीमा से सटे गांव खाली, हजारों लोग हो रहे विस्थापित
सीमा के दोनों ओर बसे गांवों में भय का माहौल है। लोगों को अपना घर-बार छोड़कर राहत शिविरों या सुरक्षित क्षेत्रों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन मदद की व्यवस्था शुरू कर दी है, लेकिन लगातार हो रही गोलीबारी के कारण राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं। अनुमान है कि अब तक हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं।
कूटनीति को झटका, क्षेत्रीय शांति पर संकट
सीमा पर लगातार बढ़ रहा तनाव न केवल थाईलैंड और कंबोडिया के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है। संघर्षविराम की अपीलों की अनदेखी और चौथे दिन भी जारी हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कूटनीतिक कोशिशें फिलहाल विफल होती दिख रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही कोई निर्णायक हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो यह टकराव बड़े युद्ध में बदल सकता है।
थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर जारी संघर्ष अब मानवीय और क्षेत्रीय संकट बनता जा रहा है। सीजफायर की अपीलों के बावजूद जारी हिंसा इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच गहरी असहमति बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह समय निर्णायक कदम उठाने का है, ताकि दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाया जा सके और निर्दोष नागरिकों की जान बचाई जा सके।
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