अल नीनो का भयानक असर, जिससे भारत है परेशान

Laxmi Mishra
By Laxmi Mishra
अल नीनो का भयानक असर

El Nino Effect: झुलसा देने वाली चिलचिलाती धूप से जनता परेशान है. गर्म हवा के थपेड़े भी लगने लगे हैं. तो वहीं धूप की वजह से शहर की ज्यादातर सड़कें सूनी हो गईं. लोगों की उम्मीद से ज्यादा पड़ी गर्मी की वजह से धूप में निकलने की बजाए लोग घरों में रहना पसंद करने लगे हैं. तो वहीं सूरज ने ऐसी आग बरसाई है कि…बलिया में गर्मी की वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. तो वहीं अमेरिका की एक संस्था ने noaa ने चेतावनी जताते हुए कहा है कि इस साल 60% तक अल नीनो (El Nino)डवेलप होने की वजह से धरती का तापमान बढ़ेगा जिससे सूखे की स्थिति भी डेवलप होगी.

क्या है अल नीनो (El Nino)

प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो (El Nino)कहा जाता है. आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है. इस बदलाव की वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है.

(El Nino)अल नीनो का मौसम पर क्या पड़ता है असर?

अल नीनो के कारण प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है यानी गर्म हो जाता है. इस गर्मी की वजह से समुद्र में चल रही हवाओं के रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाते हैं. इस परिवर्तन के कारण मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है. अल नीनो (El Nino)का असर दुनिया भर में महसूस किया जाता है. जिसके कारण बारिश, ठंड, गर्मी सब में अंतर दिखाई देता है. अब मौसम के बदल जाने के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है. जिस साल अल नीनो की सक्रियता बढ़ती है, उस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून पर इसका असर पड़ता है. जिससे धरती के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होती है तो कुछ हिस्सों में सूखे की गंभीर स्थिति सामने आती है. हालांकि कभी-कभी इसके सकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, उदाहरण के तौर पर अल नीनो के कारण अटलांटिक महासागर में तूफान की घटनाओं में कमी आती है.

(La-nina)ला नीना क्या है?

ला नीना का स्पेनिश मतलब है ‘छोटी लड़की’. इसे कभी-कभी अल विएखो, एंटी-अल नीनो या “एक शीत घटना” भी कहा जाता है. यह स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने से पैदा होती है. ला नीनो बनने के कई अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे मशहूर कारण है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं तो समुद्री की सतह का टेम्प्रेचर गिरने लगता है. इस कम होते तापमान को ही ला नीनो कहते हैं. इस स्थिति का पैदा होना पूरी दुनिया के तापमान पर असर डालता है और इसके कारण उस वर्ष तापमान औसत से ज्यादा ठंडा हो जाता है.

अल नीनो (El Nino) और ला नीना(La-nina)का भारत पर क्या होगा असर?

मौसम वैज्ञानिक इस साल यानी 2023 अल नीनो के प्रभाव की चेतावनी दे रहे हैं, यह भारत के लिए बिल्कुल ही अच्छी खबर नहीं है. क्योंकि एक तरफ जहां भारत की ज्यादातर आबादी अपनी जिंदगी जीने के लिए कृषि पर निर्भर है. वहीं अगर अल नीनो का प्रभाव पड़ता है तो इस साल लोगों को रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की मार झेलनी पड़ सकती है.भारत में अल-नीनो के कारण सूखे की स्थिति पैदा होती है. कई राज्यों में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है. सूखे के कारण क्षेत्र में जलापूर्ति का संकट उत्पन्न होता है, क्योंकि गर्मी से जलाशय सूख जाते हैं और नदियों में भी पानी की कमी होती है. कृषि जो कि सिंचाई जल पर निर्भर होती है, पर भी संकट उत्पन्न होता है. वहीं भारत में ला नीना के कारण भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी ठीक-ठाक होती है.

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