भारत सरकार ने 2025 के केंद्रीय बजट में आयकर स्लैब्स में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत करदाताओं को राहत प्रदान करना और देश में कर सुधारों को लागू करना है। इन बदलावों से मध्यम आय वर्ग को खास फायदा होगा, खासकर 12 लाख रुपये तक की आय पर कर की दर में कमी की गई है।
पुराने कर स्लैब्स (Pre-Budget Structure)
भारत में आयकर का निर्धारण एक टैक्स स्लैब के आधार पर किया जाता है, जिसका मतलब है कि किसी व्यक्ति की आय जितनी अधिक होगी, उस पर उतना ही ज्यादा टैक्स लिया जाएगा। पुराने कर स्लैब्स के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स से मुक्त रखा गया था। वहीं, 5 लाख रुपये तक की आय पर 5% टैक्स लगता था, और 12 लाख रुपये तक की आय पर 20% की दर से टैक्स लिया जाता था। इस व्यवस्था में मध्यम और उच्च आय वर्ग के लोग ज्यादा टैक्स देने के लिए जिम्मेदार थे। हालांकि, इससे कुछ वर्गों पर ज्यादा दबाव पड़ता था।
नए कर स्लैब्स (Post-Budget Structure)
2025 के बजट में सरकार ने आयकर स्लैब्स में सुधार किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव 12 लाख रुपये तक की आय पर होने वाले टैक्स की दर में हुआ है। पहले 12 लाख रुपये तक की आय पर 20% टैक्स लगता था, जबकि अब इस पर केवल 10% की दर से टैक्स लिया जाएगा। यह बदलाव मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कर की दर में आधी कमी की गई है, जो करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसके अलावा, 2.5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स से मुक्त रखा गया है, जबकि 5 लाख रुपये तक की आय पर 5% की दर से टैक्स लिया जाएगा। इससे पहले, 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई खास राहत नहीं थी, लेकिन अब कम आय वाले लोगों को भी राहत मिल रही है। इन बदलावों से सरकार ने कर प्रणाली को अधिक न्यायपूर्ण और समावेशी बनाने की कोशिश की है।
टैक्स राहत और अन्य सुधार
नए टैक्स स्लैब्स के अलावा, सरकार ने विभिन्न टैक्स छूट और डिडक्शन की भी घोषणा की है। आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये तक कर दिया गया है, जो करदाताओं को अतिरिक्त राहत प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को भी कुछ विशेष राहत दी है, ताकि उन्हें आयकर के बढ़े हुए बोझ से राहत मिल सके। वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त छूट और डिडक्शन की घोषणा की गई है, जिससे उन्हें विशेष ध्यान और मदद मिलेगी।
पारदर्शिता और ई-सुविधाओं का विस्तार
2025 के बजट में एक और महत्वपूर्ण पहल की गई है, जो कर भुगतान और कर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने से संबंधित है। सरकार ने टैक्स अधिकारियों द्वारा जांच प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की योजना बनाई है, ताकि करदाताओं को किसी भी प्रकार के दुरुपयोग से बचाया जा सके। साथ ही, ई-सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा, जिससे करदाताओं को ऑनलाइन भुगतान करने में आसानी हो और भ्रष्टाचार की संभावना कम हो।
प्रभावित वर्ग और आर्थिक प्रभाव
इन बदलावों से विशेष रूप से वे लोग लाभान्वित होंगे जिनकी आय 12 लाख रुपये तक है। पहले इन पर 20% टैक्स लगता था, लेकिन अब केवल 10% टैक्स लिया जाएगा, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। इससे उनके पास अधिक disposable income होगी, जो उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने में मदद कर सकती है। इस बढ़े हुए खर्च का बाजार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिससे मांग में वृद्धि हो सकती है।
इस बदलाव का दूसरा प्रभाव यह हो सकता है कि लोग करों में राहत मिलने के बाद अपने खर्चे और निवेश के फैसले फिर से विचार करें, जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिल सकता है। इसके अलावा, मध्यम वर्ग के लोगों को आर्थिक दृष्टि से मजबूती मिल सकती है, जो उन्हें अधिक बचत और निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकता है।