सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी की याचिका को किया खारिज…

Shankhdhar Shivi
By Shankhdhar Shivi

दिल्ली सरकार पिछले तीन वर्षों से सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की प्रथा का पालन कर रही है। इसके खिलाफ बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी की पटाखा बैन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है।

Delhi Fire Crackers Ban: सुप्रीम कोर्ट से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी को झटका लगा है। पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 13 सितंबर को सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार करते हुए कहा कि जिसे परेशानी हो वो जश्न मनाने कहीं और चले जाएं, और साथ ही इस दौरान केंद्र सरकार ने दलील दी कि ग्रीन क्रैकर के उत्पादन और बिक्री को लेकर गाइडलाइन तैयार की जा चुकी है। बता दे कि जस्टिस ए एस बोपन्ना ने कहा कि स्थानीय स्तर पर अगर कोई प्रतिबंध है, तो प्रतिबंध है। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे। आप जश्न मनाने के दूसरे तरीके खोज सकते हैं।

क्या दलील दी गई?


सांसद और बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने दिल्ली में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की आलोचना करते हुए जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ को बताया कि हरित पटाखों को अदालत की मंजूरी के बावजूद ऐसा किया गया है। कोर्ट ने मनोज तिवारी की दलील पर उनके वकील से कहा कि लोगों का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, जहां सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है, वहां इसका मतलब पूर्ण प्रतिबंध है। आपको पटाखे फोड़ने हैं, तो वहां जाओ जहां पर कि बैन नहीं है।

केजरीवाल सरकार ने लगाया है बैन…

आपको बता दें कि केजरीवाल कैबिनेट में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कुछ ही दिनों पहले यह ऐलान किया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री, निर्माण या भंडारण और उसे फोड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। दिल्ली सरकार पिछले तीन साल से भी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगा रही है। दिल्ली सरकार के मंत्री ने तर्क दिया था कि पिछले पांच-छह सालों में दिल्ली वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी इसमे और सुधार किये जाने की जरुरत है। इसी को देखते हुए पटाखों पर प्रतिबंध का फैसला लिया गया।पटाखों पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं: कोर्ट

पटाखों पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं: कोर्ट

पटाखों पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं, बच्चे कारखानों में, विस्फोटों में और प्रदूषण से मर रहे हैं. निर्माता बार-बार निर्देशों का उल्लंघन करते रहते हैं, और फिर अदालत में आकर मांग करते है कि आप इसमें ढील क्यों नहीं देते? वही वकील गोपाल शंकर नारायण ने AIIMS और गंगाराम हॉस्पिटल की पुरानी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि हॉस्पिटल के एक विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा दायर की गई रिपोर्ट में कहा गया है, कि दिल्ली में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जब ये कण शरीर में प्रवेश करते हैं तो वहीं रह जाते हैं, और गंभीर बीमारी पैदा करते हैं. वकील गोपाल शंकर नारायण ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अब पटाखा निर्माताओं का समर्थन कर रहा है, इसका कोई कारण हो सकता है। कल गुरुवार को भी जारी रहेगी सुनवाई।

दरअसल, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया था कि सर्दियों में प्रदूषण के स्तर को कम करने की कार्ययोजना के तहत सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर फिर से प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है और इसके साथ ही दिल्ली पुलिस को शहर में यह प्रतिबंध लागू करने के सख्त निर्देश जारी किए जाएंगे।

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