Supreme Court: उत्तरकाशी जिले के पुरोला में 26 मई को एक मुस्लिम लड़के के साथ दो और युवकों ने एक हिंदू दुकानदार की नाबालिग बेटी के साथ गलत तरह से अपहरण करने की कोशिश की थी। इसके बाद से ही पुरोला समेत आसपास के इलाकों में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और देखते ही देखते मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ पुरोला में प्रदर्शन शुरु हो गया।
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उत्तरकाशी जिले में छोटा सा कस्बा है पुरोला। जहां नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले में बवाल मचा है। हिंदू संगठन पुरोला में लगातार विरोध प्रदर्शन बड़कोट, चिन्यालीसौड़ और भटवारी में हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने मुस्लिम दुकानदारों की दुकानों पर पोस्टर लगाए हैं, इन पोस्टरों में दुकान खाली करने की मांग करने की धमकी दी गई है। कुछ मुस्लिम दुकानदारों के पलायन की भी खबर है। हालांकि, पुलिस ने दुकानदारों के उत्तरकाशी छोड़ने की खबरों का खंडन किया है। इतना ही नहीं पुलिस का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है। आइए जानते हैं कि इस पर सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है।
![उत्तरकाशी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का इनकार, नहीं होगी लव जिहाद पर महापंचायत Uttrakhand Love Jihad Protest: उत्तरकाशी लव जिहाद केस को लेकर दक्षिणपंथी संगठन के लोगों ने पुरोला इलाके में हिंदू मकान मालिकों से मुलाकात की और मुस्लिम ...](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-100808679,imgsize-1981022/pic.jpg)
बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 15 जून को होने जा रही महापंचायत के खिलाफ सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। हिंदू संगठनों ने लव जिहाद और लैंड जिहाद के खिलाफ उत्तरकाशी के पुरोला में यह महापंचायत बैठाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से मना करते हुए कहा कि याचिका करने वालो को हाई कोर्ट में अपनी बात रखनी चाहिए।
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याचिकाकर्ता एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR)की तरफ से वकील शाहरुख आलम ने मामला सुप्रीम कोर्ट में रखा। इन्होंने जजों से कहा कि “एक समुदाय को जगह खाली करने के लिए धमकाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को भड़काऊ भाषण पर कार्रवाई का आदेश दिया हुआ है। इसलिए, कार्यक्रम पर रोक लगानी चाहिए।
कानून-व्यवस्था प्रशासन का काम है…
जस्टिस विक्रम नाथ और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाशकालीन बेंच सुनवाई को तैयार नहीं हुई। जस्टिस नाथ ने कहा – “कानून-व्यवस्था देखना प्रशासन का काम है। आप हाई कोर्ट को हमारे पिछले आदेश की जानकारी देकर सुनवाई का अनुरोध कर सकते हैं।”
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वकील ने सुनवाई पर ज़ोर देते हुए कहा कि महापंचायत में बहुत कम समय बचा है। इस ओर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, “हम यह नहीं समझ पा रहे कि आपको हाई कोर्ट जाने में क्या समस्या है? अगर सुप्रीम कोर्ट ने पहले कोई आदेश दिया है, तो मामला यहीं रखना ज़रूरी नहीं। आप को हाई कोर्ट पर विश्वास रखना चाहिए।”
वापस ली गई याचिका…
![उत्तरकाशी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का इनकार, नहीं होगी लव जिहाद पर महापंचायत Controversial civil society outfit PUCL calls to revoke ban on PFI](https://www.opindia.com/wp-content/uploads/2022/09/pucl.jpeg)
जजों के बर्ताव को देखते हुए वकील ने याचिका वापस लेने की मंजूरी मांगी। उन्होंने कहा कि वह प्रशासन को उद्देश्य पत्र देंगे। हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल करेंगे। इसके बाद जजों ने उन्हें याचिका वापस लेने की इजाज़त दे दी। इस महापंचायत के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद और लेखक अशोक वाजपेयी ने चीफ जस्टिस को पत्र याचिका भेजी है। एनजीओ पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL)ने भी संज्ञान लेने और महापंचायत पर रोक लगाने की मांग की है। हालांकि, इनकी तरफ से आज सुनवाई का अनुरोध कोर्ट में नहीं रखा गया।