Kolkata Doctor Rape Case: कोलकाता (Kolkata) में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत को लेकर कोलकाता, दिल्ली, मुंबई समेत सभी बड़े शहरों में डॉक्टर्स और आम जनता ने भी इस घटना के खिलाफ विरोध जताते हुए न्याय की मांग की थी। जिसे लकेर सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता रेप-मर्डर केस का स्वत: संज्ञान लिया। ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर की रेप के बाद हत्या और अस्पताल में तोड़फोड़ के मामले पर स्वत:संज्ञान लिया।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल है। बेंच ने इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर होने पर भी चिंता व्यक्त की। इसके अलावा कोर्ट ने इस केस में पुलिस जांच से लेकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष की भूमिका तक पर भी गंभीर सवाल उठाए।
टास्क फोर्स का किया गठन
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आठ सदस्यीय टास्क फोर्स को गठित करने का फैसला दिया है। इसमें एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवासन के अलावा कई और सीनियरस डॉक्टरों का नाम भी शामिल किया गया है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ये सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की भी चिंता है। सर्वोच्च न्यायालय ने महिला डॉक्टर की पहचान उजागर करने पर भी नाराजगी जाहिर की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। आज के समय में ज्यादातर युवा चिकित्सक 36 घंटे काम करते हैं, हमें काम करने की सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की आवश्यकता है।”
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पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बेहद दुःखद घटना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की घोषणा की कि इस घटना की जांच के लिए हम नेशनल टास्क फोर्स बनाने जा रहे हैं। यह टास्क फोर्स कोर्ट की निगरानी में कार्य करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और पीड़िता के परिवार को सच्चाई न बताने से जुड़े आरोपों को लेकर भी सवाल पूछे। कोर्ट का कहना है कि ये एक अपराध का मामला नहीं है। इस केस में एफआईआर दर्ज करने में भी देरी की गयी है।
यह अस्पताल की जिम्मेदारी थी कि वह फ़ौरन पुलिस में जाकर एफआईआर दर्ज कराते। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। काफी समय बीत जाने के बाद देर रात एफआईआर दर्ज कराई गई। अस्पताल प्रबंधन उस वक्त आखिर कर क्या रहा था? सिर्फ इतना ही नहीं परिजनों को भी पीड़िता का शव काफी देर बाद सौंपा गया था।
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कॉलेज प्राचार्य पर भी उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) के प्राचार्य संदीप घोष को लेकर भी कई सवाल उठाए। कोर्ट का कहना है कि यह बेहद दिल दहला देने वाली घटना है। प्रिंसिपल ने इस मामले को पहले आत्महत्या बताने की कोशिश की थी। आखिर प्रिंसिपल इस मामले को लेकर कर क्या रहे थे? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर इस मामले के बाद प्रिंसिपल का तबादला दूसरी जगह कैसे कर दिया गया? यह सब कुछ एकाएक तो नहीं हो सकता है।
प्रदर्शन को बीता एक सप्ताह
इस मामले में डॉक्टरों की हड़ताल को बीते रविवार को एक सप्ताह हो चुका है, जिससे मरीजों की परेशानी बढ़ रही है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सीबीआई दोषियों को पकड़े और अदालत उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दे। इसके अलावा, वह सरकार से यह आश्वासन चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी किसी भी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
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यह थी घटना
कोलकाता (Kolkata) के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) और अस्पताल में एक महिला पीजीटी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना ने व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। शुक्रवार सुबह अस्पताल के सेमिनार हॉल में पीजीटी डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। महिला डॉक्टर, जो छाती रोग विभाग की दूसरी वर्ष की छात्रा थी, की हत्या के बाद उसके शव को खून से सने गद्दे पर पड़ा पाया गया। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, महिला का यौन शोषण किया गया था। इसी मामले को लेकर पूरे देश में आक्रोश व्याप्त है। अब देखना यह होगा कि पीड़ित परिवार को कब तक न्याय मिलेगा?
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