Sultanpur:अनुज प्रताप सिंह एनकाउंटर के बाद गरमाई सियासत, अखिलेश यादव ने उठाए सवाल, वीडियो शेयर कर कहा-‘एक बहन के आंसू जो…’

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Anuj Pratap Singh encounter

Sultanpur Encounter: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर लूटकांड का मुख्य आरोपी और एक लाख रुपये का इनामी बदमाश अनुज प्रताप सिंह का एनकाउंटर सोमवार तड़के उन्नाव में हुआ। यूपी एसटीएफ (UP STF) और उन्नाव पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में अनुज प्रताप सिंह (Anuj Pratap Singh) को मार गिराया गया। हालांकि, इस एनकाउंटर के बाद राज्य की सियासत फिर से गरमा गई है, और एक बार फिर विपक्षी दलों ने इसे फर्जी करार देते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है। यह मामला उस समय और भी चर्चा में आ गया जब इससे पहले इसी केस के एक अन्य आरोपी मंगेश यादव का भी एनकाउंटर किया गया था, जिसे लेकर भी समाजवादी पार्टी सपा ने सवाल उठाए थे।

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अखिलेश यादव का एनकाउंटर पर सवाल

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अनुज प्रताप सिंह के एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा किया जिसमें अनुज की बहन अमीषा ने पुलिस कार्रवाई को अन्याय बताया। अखिलेश ने वीडियो के साथ लिखा, “शोक में डूबी एक बहन के आंसू जो शब्द बनकर सबको झकझोर रहे हैं, लेकिन हृदयहीन व असंवेदनशील लोगों के लिए इनका कोई महत्व नहीं।”

अखिलेश ने एक और पोस्ट में सरकार को आड़े हाथों लेते हुए लिखा, “सबसे कमजोर लोग एनकाउंटर को अपनी शक्ति मानते हैं, जो नाइंसाफी है।” उन्होंने इसे योगी सरकार की रणनीति पर सवाल उठाते हुए इसे जनविरोधी करार दिया। उनका कहना था कि वर्तमान सरकार यूपी की छवि खराब कर रही है और एनकाउंटर के नाम पर नाइंसाफी हो रही है।

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अनुज प्रताप की बहन की भावुक अपील

एनकाउंटर में मारे गए अनुज की बहन अमीषा ने मीडिया के सामने आकर कहा कि जिन्होंने एनकाउंटर किया है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। अमीषा ने कहा, “सजा कोर्ट देता है, न कि पुलिस। पुलिस अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल कर रही है। अगर उनके ऊपर 36 मुकदमे थे, तो उनका भी एनकाउंटर कर दिया जाता।”

अनुज प्रताप सिंह उन्नाव के शुक्लागंज इलाके में चार किलो चांदी बेचने की फिराक में था। बताया जा रहा है कि वह इससे मिलने वाले पैसों के जरिए किसी अन्य राज्य में फरार होने की योजना बना रहा था। स्थानीय सर्राफा व्यापारी को अनुज की गतिविधियों पर संदेह हुआ और उसने पुलिस को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद एसटीएफ ने इस पर कार्रवाई की।

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जातिगत राजनीति के लगाए आरोप

यह एनकाउंटर केवल अनुज प्रताप सिंह तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे पहले मंगेश यादव का भी इसी मामले में एनकाउंटर किया गया था। उस समय भी अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे जातिगत आधार पर होने वाली हिंसा करार दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि योगी सरकार खास जातियों को निशाना बना रही है और एनकाउंटर के नाम पर उनकी हत्या कर रही है। सपा ने यह भी कहा था कि एनकाउंटर की कार्रवाई सरकार की राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।

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अनुज प्रताप के पिता का पलटवार

इधर, अनुज प्रताप सिंह के पिता धर्मराज ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, “एनकाउंटर में ठाकुर के मारे जाने से अखिलेश की इच्छा पूरी हो गई।” उनका कहना था कि यह मामला पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत निपटाया गया है, और इसे जातिगत मुद्दा बनाना अनुचित है।

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एनकाउंटर पर पुलिस की सफाई

पुलिस का दावा है कि अनुज प्रताप सिंह सुल्तानपुर लूटकांड का मुख्य आरोपी था और उसने चांदी बेचकर फरार होने की योजना बनाई थी। हालांकि, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार देते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। पुलिस का कहना है कि उनके पास पर्याप्त सबूत थे और कार्रवाई कानून के अनुसार की गई।

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सुल्तानपुर लूटकांड

सुल्तानपुर लूटकांड का मास्टरमाइंड विपिन सिंह पहले ही रायबरेली कोर्ट में सरेंडर कर चुका है। इसके अलावा, पुलिस ने सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह और त्रिभुवन को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में 11 सितंबर को डकैती का खुलासा हुआ था, जिसके बाद विनय शुक्ला, दुर्गेश सिंह, विवेक सिंह और अरविंद यादव को भी जेल भेज दिया गया था। 20 सितंबर को अजय यादव को भी पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने अब तक इस मामले में ढाई किलो सोना और 30 किलो चांदी बरामद की है।

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एनकाउंटर पर गरमाई सियासत

इस पूरे मामले में एनकाउंटर और गिरफ्तारियों को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। जहां सपा और कांग्रेस सरकार को घेर रही हैं, वहीं भाजपा अपने फैसले का बचाव कर रही है। नेता प्रतिपक्ष और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम, यादव और ब्राह्मणों के फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं। सुल्तानपुर डकैती मामले के फरार आरोपी अरबाज और फुरकान के गांव में भी भय का माहौल है। दोनों के परिजनों को अनहोनी की आशंका सता रही है, और गांव के लोग भी इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साधे हुए हैं। जातिगत आरोपों और फर्जी एनकाउंटर के सवालों के बीच यह देखना होगा कि आने वाले समय में इस पर सरकार और विपक्ष का क्या रुख रहेगा।

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