Strawberry Moon 2025: आज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, दान, व्रत और तपस्या का विशेष महत्व होता है। महिलाएं इस अवसर पर वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण प्रभाव में होता है और उसकी किरणें मानसिक शांति व ऊर्जा प्रदान करती हैं। ध्यान, साधना और नई शुरुआत के लिए यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है।
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2043 तक नहीं दोहराएगा ऐसा दृश्य
आज की रात खगोल प्रेमियों के लिए भी खास है क्योंकि पूर्णिमा के साथ-साथ ‘स्ट्रॉबेरी मून’ का दुर्लभ दृश्य देखने को मिलेगा। यह खगोलीय घटना हर 18.6 वर्षों में एक बार होती है और अगली बार इसे साल 2043 में देखा जा सकेगा। यह चंद्रमा हल्की गुलाबी या सुनहरी आभा के साथ दिखाई देता है, जो इसे एक रहस्यमय और मनमोहक रूप प्रदान करता है।
भारत में स्ट्रॉबेरी मून देखने का सही समय और दिशा
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, स्ट्रॉबेरी मून भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। भारत में इसे सूर्यास्त के बाद रात 7 बजे के बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में देखा जा सकता है। चंद्रमा इस समय क्षितिज के पास नीचा दिखाई देगा और एक गर्म आभा फैलाएगा। साफ दृश्य के लिए कम प्रकाश प्रदूषण वाले खुले स्थान से इसे देखना सबसे उपयुक्त रहेगा। दूरबीन या टेलीस्कोप का उपयोग कर इसे और भी नजदीक से देखा जा सकता है।
क्या होता है स्ट्रॉबेरी मून और क्यों होता है खास?
आपको बता दे कि, स्ट्रॉबेरी मून का नाम रंग के कारण नहीं, बल्कि जून महीने में स्ट्रॉबेरी की फसल से जुड़ा हुआ है। यह नाम अमेरिकी आदिवासी परंपराओं से आया है, जहां जून की पूर्णिमा के बाद स्ट्रॉबेरी की कटाई शुरू होती थी। इस बार का स्ट्रॉबेरी मून एक ‘माइक्रो मून’ भी होगा, यानी चंद्रमा पृथ्वी से अधिक दूरी पर होने के कारण यह अपेक्षाकृत छोटा और हल्का दिखाई देगा।
अन्य चंद्रमा नाम और उनकी परंपराएं
स्ट्रॉबेरी मून की तरह हर पूर्णिमा को मौसम और परंपराओं के अनुसार नाम दिया गया है। जैसे जनवरी का वुल्फ मून, फरवरी का स्नो मून, मार्च का वर्म मून, अप्रैल का पिंक मून, सितंबर-अक्टूबर का हार्वेस्ट मून और दिसंबर का कोल्ड मून। ये नाम प्रकृति के चक्र और फसलों से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं।
धार्मिक परंपरा और खगोलीय घटना का अद्वितीय संगम
आज की रात एक ऐसा क्षण लेकर आई है जहां ज्येष्ठ पूर्णिमा की धार्मिक महत्ता और स्ट्रॉबेरी मून की खगोलीय भव्यता एक साथ देखने को मिलेगी। ऐसे में यह रात केवल देखने योग्य ही नहीं, बल्कि साधना और आत्मचिंतन के लिए भी एक अद्वितीय अवसर बन गई है।