Malkhan Singh: यूपी के सहारनपुर के शहीद मलखान सिंह (Malkhan Singh) की कहानी 56 सालों के लम्बे इंतजार की है. उनका शव हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के रोहतांग दर्रे से मिला, जो कि 1968 में हुए एक विमान हादसे में लापता हो गए थे. बता दे कि मलखान सिंह भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के जवान थे, और 7 फरवरी 1968 को उनके विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के समय कुल 102 सैनिक सवार थे. इतने सालों के बाद, उनके शव को उनके बैच नंबर के आधार पर पहचाना गया है. इस खबर के बाद उनके परिवार और पूरे जिले में शोक और गर्व का माहौल है, लेकिन इस लम्बे इंतजार में मलखान सिंह के परिवार में बहुत कुछ बदल गया है.
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सहारनपुर के निवासी थे मलखान सिंह
आपको बता दे कि मलखान सिंह (Malkhan Singh) सहारनपुर के थाना ननौता क्षेत्र के फतेहपुर गांव के निवासी थे. उनका जन्म 18 जनवरी 1945 को हुआ था. जब वह लापता हुए, तब उनकी उम्र केवल 23 वर्ष थी. इस दुर्घटना के बाद से उनका कोई भी पता नहीं चला. उनके माता-पिता और अन्य परिवार के सदस्य उनके लौटने की आशा में सालों तक इंतजार करते रहे, लेकिन कोई सूचना नहीं मिली.
विमान दुर्घटना की खबर ने परिजनों को बुरी तरह से तोड़ दिया
बताते चले कि विमान दुर्घटना की खबर ने मलखान सिंह (Malkhan Singh) के परिवार को बुरी तरह तोड़ दिया. उनकी पत्नी शीलावती ने मलखान सिंह के लापता होने के बाद दूसरी शादी मलखान सिंह के छोटे भाई चंद्रपाल सिंह से कर दी. उस समय शीलावती गर्भवती थीं, और उनके एक बेटे रामप्रसाद की उम्र मात्र डेढ़ वर्ष थी. हालांकि, परिवार ने मलखान सिंह को कभी मृत घोषित नहीं किया, जिससे पितृ पक्ष में उनकी आत्मा की शांति के लिए कोई तर्पण संस्कार नहीं किया गया.
शव की पहचान और अंतिम संस्कार
56 साल बाद जब सियाचिन में मलखान सिंह (Malkhan Singh) का शव मिला, तो परिवार की पीड़ा और इंतजार की सभी भावनाएं एक साथ उमड़ पड़ी. लेकिन अब उनकी पत्नी शीलावती और बेटे रामप्रसाद की भी मृत्यु हो चुकी है, और उनके माता-पिता भी इस दुनिया में नहीं हैं. मलखान सिंह का अंतिम संस्कार उनके पौत्र गौतम द्वारा किया गया. परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, और मलखान सिंह के पौत्र मनीष और गौतम आजीविका के लिए मजदूरी करते हैं.
पार्थिव शरीर पैतृक गांव फतेहपुर लाया गया
मलखान सिंह (Malkhan Singh) का पार्थिव शरीर भारतीय वायुसेना के जवानों द्वारा उनके पैतृक गांव फतेहपुर लाया गया. वहां हजारों की संख्या में लोग अंतिम संस्कार के लिए उपस्थित हुए. चारों ओर ‘मलखान सिंह अमर रहें’ के नारे गूंज उठे. मलखान सिंह के पोते गौतम ने उन्हें मुखाग्नि दी, और पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ. गांव के लोगों और परिवार ने सरकार से मांग की है कि मलखान सिंह को शहीद का दर्जा दिया जाए और उनके परिवार को उचित सहायता प्रदान की जाए. ग्रामीणों ने कहा कि यह 56 वर्षों का एक लंबा और पीड़ादायक इंतजार था, जो अब खत्म हुआ.
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