Stock Market News:भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में गिरावट का दौर जारी है, लेकिन निवेशकों को इस बार मार्च से काफी उम्मीदें हैं। मार्च का महीना पिछले कुछ वर्षों में शेयर बाजार के लिए शुभ साबित हुआ है, और इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि बाजार में सुधार होगा। हालांकि, इससे पहले बाजार के लिए चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे कमजोर कमाई, विदेशी निवेशकों की निकासी और अमेरिका के टैरिफ को लेकर अनिश्चितता। इन सबके बावजूद, इतिहास गवाह है कि मार्च का महीना अक्सर निफ्टी के लिए सकारात्मक रहा है।
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पिछले 10 सालों में मार्च का महीना

अगर हम पिछले दस वर्षों के प्रदर्शन को देखें, तो मार्च के महीने ने शेयर बाजार को फायदा ही पहुँचाया है। पिछले दस वर्षों में से सात बार मार्च के महीने में निफ्टी में उछाल देखा गया है। साल 2016, 2017, 2019, 2021, 2022, 2023 और 2024 में निफ्टी ने बढ़त दर्ज की थी, जबकि 2015, 2018 और 2020 में गिरावट आई थी। इन आंकड़ों के आधार पर निवेशकों को उम्मीद है कि इस बार भी मार्च में बाजार की दिशा सकारात्मक हो सकती है।
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निफ्टी की वर्तमान स्थिति

फिलहाल निफ्टी 50 के प्रदर्शन की बात करें तो फरवरी के अंतिम कारोबारी दिन 420 अंकों की गिरावट के साथ 22,124.70 पर बंद हुआ। यह लगातार पांचवां महीना है जब निफ्टी गिरावट के साथ बंद हुआ है, जो कि 1996 के बाद की सबसे लंबी मंदी है। अब तक निफ्टी सितंबर के उच्चतम स्तर से लगभग 15% तक गिर चुका है, जिससे भारत वैश्विक बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश बन गया है।
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मार्च में बाजार की दिशा तय करेंगे ये संकेत

निवेशकों की नजर अब इस माह यानी मार्च में बाजार की दिशा पर है। बाजार में सुधार की उम्मीद के पीछे एक बड़ा कारण पिछले कुछ वर्षों में मार्च के दौरान निफ्टी का प्रदर्शन है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि सिर्फ मौसमी ट्रेंड (Seasonality) के आधार पर बाजार में बदलाव आना संभव नहीं है। Angel One के वरिष्ठ विश्लेषक ओशो कृष्णन के अनुसार, “निफ्टी के ट्रेंड को बदलने के लिए सिर्फ मार्च की सीजनलिटी काफी नहीं होगी।” इसका मतलब यह है कि बाजार को स्थिर करने के लिए कुछ और कारक काम करेंगे, जैसे ग्लोबल संकेत और घरेलू नीतिगत फैसले।
विदेशी निवेशकों की निकासी

शेयर बाजार की मौजूदा गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की भारी निकासी भी एक प्रमुख कारण रही है। पिछले कुछ महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशक (FPI) ने बड़ी मात्रा में भारतीय बाजार से पैसे निकाले हैं। इसके अलावा, कंपनियों की कमजोर कमाई और वैश्विक अनिश्चितताओं ने भी बाजार की स्थिति को प्रभावित किया है।