SSC CGL Protest: दिल्ली में कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों के विरोध में अभ्यर्थियों द्वारा आयोजित प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंचे देशभर के शिक्षकों को पुलिस ने रोक दिया और कई को गिरफ्तार कर लिया। यह प्रदर्शन 31 जुलाई को ‘दिल्ली चलो’ अभियान के तहत किया गया, जिसमें SSC परीक्षा प्रक्रिया में सुधार की मांग उठाई गई।शिक्षकों का कहना था कि वे केवल केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मिलकर छात्रों की समस्याओं पर बात करना चाहते थे। लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें मिलने नहीं दिया और प्रदर्शन कर रहे लोगों को तितर-बितर कर दिया गया।
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नीतू मैम समेत कई शिक्षकों को रोका गया
प्रदर्शन में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से शिक्षक दिल्ली पहुंचे थे। इनमें ऑनलाइन शिक्षा जगत की जानी-मानी शिक्षिका नीतू मैम भी शामिल थीं। उन्होंने कहा कि “सिर्फ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने से कुछ नहीं होगा। हमें मंत्री से मिलकर सीधे बातचीत करनी है ताकि छात्र की समस्याएं हल हो सकें, लेकिन पुलिस ने हमें मिलने नहीं दिया और हमें जबरन वहां से हटाया गया।”शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करने का भी अधिकार नहीं दिया गया और कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
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SSC परीक्षाओं में गड़बड़ियों पर छात्रों और शिक्षकों का गुस्सा
- छात्रों और शिक्षकों द्वारा उठाई गई मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:बार-बार परीक्षाओं का रद्द होना: कई बार परीक्षा आयोजित होने के बाद भी उसे प्रशासनिक कारणों से रद्द कर दिया गया।
- परीक्षा केंद्रों में अव्यवस्था: उम्मीदवारों को गलत परीक्षा केंद्र आवंटित किए गए, जिससे उन्हें यात्रा और समय की समस्या हुई।
- तकनीकी खामियां: कई जगहों पर परीक्षा के दौरान कंप्यूटर सिस्टम क्रैश हो गया, सर्वर नहीं चला या तकनीकी खराबी सामने आई।
- परीक्षार्थियों के साथ दुर्व्यवहार: कुछ केंद्रों पर परीक्षकों और सुरक्षाकर्मियों पर छात्रों से दुर्व्यवहार के आरोप लगे।
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शिक्षकों ने छात्रों के आंदोलन को दिया मजबूती से समर्थन
देशभर के SSC अभ्यर्थी लंबे समय से परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं। छात्रों के इस आंदोलन को और अधिक बल देने के लिए शिक्षक भी उनके समर्थन में सामने आए हैं। हालांकि, सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई ठोस प्रतिक्रिया अब तक नहीं दी गई है।शिक्षकों का कहना है कि यह सिर्फ छात्रों की नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की समस्या है। जब योग्य छात्र सिस्टम की खामियों के कारण नौकरी से वंचित रह जाते हैं, तो यह एक सामाजिक और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है।