Sleep Disorder: आखिर क्यों ? 10 करोड़ से ज्यादा लोग है Sleep Apnea से ग्रस्त..

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Sleep Apnea disorder: नींद नहीं पूरी होने के कारण मनुष्य को स्वास्थ्य जुड़ी कई समस्याओं का समाना करना पड़ता है। आज के समय में लगभग 10 करोड़ से ज्यादा भारत मे ऐसे लोग है। जो नींद की बीमारियां से जूझ रहे है। इसमें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या सबसे ज्यादा पाई जाती है। यह एक ऐसी बीमारी है। जिसमें नींद के दौरान ठीक से सांस नहीं आती है, और खर्राटे भी आते है। जिसके कारण नींद अच्छे से नहीं पूरी हो पाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा होती है।

Sleep Apnea से होती है गंभीर बीमारी

देश में आज भी करीब लगभग 11% से ज्यादा व्यस्क इस बीमारी की चपेट में हैं। कई रिसर्चो के अनुसार इनमें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया बीमारी महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होने के कारण सीधा असर उनके काम पर देखने को मिलता हैं। इस बीमारी के वजह से शरीर में मोटापा और डायबिटीज के साथ हार्ट की बीमारी होने की समस्या उत्पन हो जाती है।

लेकिन कई मामलों में ये बीमारी व्यक्ति की मेंटल हेल्थ भी खराब कर देती है। इससे स्ट्रोक, हाई बीपी की बीमारी और मेटाबॉलिक डिजीज होने का भी रिस्क रहता है।ऐसे में इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत हैं। आइए जानते हैं क्या है यह बीमारी और यह कितनी खतरनाख है।

लक्षण

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया बीमारी के लक्षण इस तरह से है। जब कोई व्यक्ति सोता हैं। तो उस समय श्वास नली की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती है। साथ ही रिलैक्स मांसपेशिया नली पर दबाव डालती है। लेकिन कुछ लोग में दबाव इतना ज्यादा होता है कि उनकी सांस कुछ समय के लिए रुक जाती है। जिसे उनकी नींद अचानक से खुल जाती है। वहीं सांस रुकने का मतलब होता है कि बॉडी में ऑक्सीजन की सप्लाई उतनी देर के लिए बंद हो जाती है। ऐसे में हमारा दिमाग तुरंत जग जाता है।

नींद में यह सब इतनी जल्दी होता है कि हमें पता भी नहीं चलता। दिमाग सांस लेने के पाइप को खोलकर फिर सो जाता है। यहीं प्रक्रिया बार बार होती रहती है। इतना सब नींद में कब और कैसे होता है, इसका हमें कोई पता नहीं जलता है। लेकिन इस कारण नींद अच्छे से नहीं पूरी हो पाती है। जिस कारण लोग गहरी नींद में नहीं सो पाते है।

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया इलाज

स्लीप एपनिया एक गम्भीर बीमारी होती हैं। लेकिन इसका इंलाज आज के समय में संभव भी है। इस बीमारी में अक्सर मरीज को तेज खर्राटे आते है। वहीं तेज खर्राटे आने पर सीधे न होकर करवट में ज्यादा सोना चाहिए । जिससे की आपके खर्राटे आसानी से बंद जाऐगें। लेकिन कई बार इसके इलाज में माउथपीक लगाया जाता हैं जिससे जबड़े पर दबाव पड़ता है। वहीं कई मामलों पर सर्जरी भी करनी पड़ती है। अगर आपको नींद में सांस रुकने के साथ दिनभर थकावट और चिड़चिड़ा पन होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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