श्रावण मास: सावन में उपवास के हैं कई फायदे, जानें फास्टिंग के महत्व

Laxmi Mishra
By Laxmi Mishra

Input- FATIMA

श्रावण माह: श्रावण महीने की शुरुआत हो गई है। सावन भर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भक्त हर सोमवार को व्रत भी रखते हैं। सावन महीने के पहले दिन शिवालयों में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही है। शिव मंदिरों में भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। मंदिर पर सावन के पहले दिन भक्तों की सुबह से ही भीड़ रही। भक्तों ने भगवान भोले शंकर के शिवलिंग पर बेलपत्र फूल चढ़ाकर जल अभिषेक किया। वहीं मंदिर प्रांगण के अंदर बम बम भोले के जयकारे गूंजे। बता दें कि हर साल सावन का महीना 30 दिन का होता है, लेकिन इस बार सावन मास पूरे 59 दिनों का होने वाला है।

सावन के महीने में फास्टिंग के महत्व

खान-पान का प्रभाव स्किन पर भी होता है। ज्यादा तेल-मसाले या बाहरी खाने से स्किन रूखी और बेजान हो जोती है। ऐसे में व्रत लाभकारी हो सकता है। उपवास रखने से शरीर डिटॉक्सीफाई हो सकता है। जब शरीर डिटॉक्सीफाई होगा, तो शरीर में मौजूद विषाक्त तत्व बाहर निकलेंगे, जिससे स्किन में नई चमक आएगी और त्वचा खूबसूरत और चमकदार दिखने लगेगी। फास्टिंग शरीर को साफ करने का काम करता है।

सावन के महीने में खूब बारिश होती है। इस दौरान फास्टिंग करने के खास मायने है। आयुर्वेद के मुताबिक इस मौसम में बारिश की वजह से साग-सब्जियों कम ही मार्केट में आ पाते हैं। वहीं दूसरी तरफ पत्ते और हरी सब्जियों में कीड़े लगने लगते हैं। इन्हें खाना पेट से जुड़ी समस्याओं हो सकती हैं। इसके अलावा गाय जो घास चरती है उनमें भी टॉक्सिन हो सकते हैं। इस प्रकार से दूध से बनी चीजों के सेवन से आपका पेट खराब हो सकता है।

बरसात में पाचन तंत्र हो जाता है कमजोर

बिन मौसम बरसात का गहरा असर हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इस दौरान त्वाचा में इन्फेरक्श न, बालों में डैंड्रफ, थकान और मूड में बदलाव जैसे लक्षण महसूस होते हैं। वहीं बरसात के मौसम में गर्मी के साथ उमस भी बढ़ी रहती है। यह उमस पाचन तंत्र को कमजोर कर देती है साथ ही साथ यह गट के हेल्थ को बिगाड़ भी सकती है। जिसकी वजह से पेट और आंत से जुड़ी समस्याएं होने लगती है। यही कारण है कि इस मौसम में पेट खराब, बदहजमी, एसिडिटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बारिश के दिनों में गलत डाइट लेने के कारण, डाइजेशन पर बुरा असर पड़ता है। जिन लोगों की इम्यूदनिटी कमजोर होती है, उनका पाचन तंत्र जल्दील कमजोर हो जाता है।

कोलेस्ट्रॉल को कम करता है उपवास

आज के समय में अधिकतर लोगों की मोटापे की परेशानी होती है। वजन कम करने के लिए लोग जिन रात महनत करते रहते हैं। लेकिन वजन कम नहीं होता है। उपवास अच्छा तरीका हो सकता है। अनिरंतर उपवास से वजन कम करने में सहायता मिल सकती है। इससे कोलेस्ट्रॉल का जोखिम भी कम हो सकता है। एक दिन के अंतराल के बाद किए जाने वाले व्रत से कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है। इससे ट्राइग्लरसाइड यानी एक प्रकार का वसा और खराब कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल हो सकता है।

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