Mahua Moitra: कैश फॉर क्वैरी केस में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द होने पर महुआ मोइत्रा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने निष्कासन के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) की नेता महुआ मोइत्रा की याचिका पर सुनवाई 3 जनवरी 2024 तक के लिए स्थगित कर दी है। महुआ मोइत्रा ने कोर्ट में बुधवार को अपनी दायर की गई याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करने के लिए अनुरोध किया था। टीएमसी सांसद के अनुरोध के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आश्वासन दिया था कि शीर्ष अदालत तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर विचार करेगी।
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सदस्यता रद्द होने पर बोली महुआ मोइत्रा
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द होने के बाद प्रतिक्रिया भी सामने आई थी। उन्होंने कहा कि लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने मुझे झुकाने के लिए बनाई गई अपनी रिपोर्ट में हर नियम तोड़ दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था जिस वजह से मुझे संसद की सदस्यता से बर्खास्त किया गया है। एथिक्स कमिटी के सामने मेरे खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं था, कोई सबूत नहीं थे। बस उनके पास केवल एक ही मुद्दा था की मैंने अडाणी का मुद्दा उठाया था।
विनोद सोनकर ने कमेटी की जांच रिपोर्ट पेश की
बता दे कि भाजपा सांसद और एथिक्स कमेटी के चेयरमैन विनोद सोनकर ने सदन में कमेटी की जांच रिपोर्ट को पेश की थी। टीएमसी सांसदों समेत कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस दौरान सदन में नारेबाजी करनी शुरू की थी। नारेबाजी करते हुए टीएमसी सांसद इस दौरान वेल में आ गए और सपा,बसपा,एनसीपी,कांग्रेस,डीएमके समेत कई दलों के सांसद सदस्य महुआ मोइत्रा के समर्थन में अपनी-अपनी कुर्सी पर खड़े हो गए थे।
जाने पूरा मामला..
आपको बता दे कि पिछले हफ्ते मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। मोइत्रा ने उनके निष्कासन की सिफारिश करने वाली लोकसभा की आचार समिति पर पर्याप्त सबूत के बिना फैसले लेने और मनमानी का आरोप लगाया है। महुआ मोइत्रा ने अपनी याचिका में अयोग्यता को चुनौती देने के साथ आचार समिति के निष्कर्षों पर चर्चा के दौरान लोकसभा में खुद का बचाव करने की अनुमति नहीं दिए जाने की बात कही है।
गौरतलब है कि लोकसभा सदस्यता छीने जाने के खिलाफ महुआ मोइत्रा ने सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कैश के बदले सवाल मामले में घिरने और आचार समिति की तरफ से लोकसभा में रिपोर्ट रखे जाने के बाद सदन के अध्यक्ष ने उन्हें निष्कसित कर दिया था। इसी के खिलाफ टीएमसी सांसद सर्वोच्च न्यायालय पहुंचीं हैं।
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