Share Market Crash News: भारतीय शेयर बाजार पिछले पांच महीनों से एक कठिन दौर से गुजर रहा है, जो कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह स्थिति पहली बार 1996 में देखी गई थी, जब जुलाई से सितंबर के बीच लगातार पांच महीने तक बाजार में गिरावट दर्ज की गई थी। इस समय के दौरान, निफ्टी में 12.65% और सेंसेक्स में 11.54% की गिरावट आई है, जिससे बीएसई का मार्केट कैप भी घट गया है और निवेशकों के 92 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं।
फरवरी में सबसे बड़ी गिरावट

2025 के फरवरी महीने में, शेयर बाजार का नुकसान अपने सबसे बड़े स्तर पर था, जहां बीएसई का मार्केट कैप 40.80 लाख करोड़ रुपये घटकर 3,84,01,411.86 करोड़ रुपये हो गया था। 31 जनवरी को बीएसई का मार्केट कैप 4,24,02,091.54 लाख करोड़ रुपये था। इस गिरावट की शुरुआत अक्टूबर 2024 से हुई, जब बाजार में निवेशकों को 29.63 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। हालांकि, नवंबर में थोड़ी राहत मिली, जहां निवेशकों को 1.97 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ। लेकिन दिसंबर में नुकसान फिर बढ़कर 4.73 लाख करोड़ रुपये हो गया और जनवरी में यह आंकड़ा 17.93 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
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क्या हैं गिरावट के कारण?

भारतीय शेयर बाजार की गिरावट के पीछे कई कारण हैं। इनमें से सबसे प्रमुख कारण विदेशी निवेशकों द्वारा किए गए निवेश की निकासी है। FPI (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर) ने अक्टूबर से अब तक 2.13 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इसके साथ-साथ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने के फैसले का भी भारतीय बाजार पर असर पड़ा है। एशियाई बाजारों में गिरावट को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जापान का निक्केई इंडेक्स 3% तक गिरा, दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 2.7% और हांगकांग का हेंग सेंग इंडेक्स 1.5% तक नीचे आया।
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निवेशकों के लिए आने वाली चुनौतियां

शेयर बाजार में लगातार गिरावट के कारण, निवेशकों को अब सतर्क रहने की आवश्यकता है। खासकर विदेशी निवेशकों के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव बना हुआ है, जिससे भारतीय निवेशकों को भी नुकसान हो सकता है। आने वाले समय में बाजार की स्थिति सुधारने के लिए सरकार और वित्तीय संस्थानों की ओर से सकारात्मक कदम उठाए जाने की उम्मीद है। लेकिन फिलहाल, शेयर बाजार की स्थिति में सुधार की संभावना कम नजर आती है, और निवेशकों को लंबी अवधि के लिए अपने निवेश पर पुनर्विचार करने की जरूरत हो सकती है।