Sharda Sinha News: जिनकी आवाज़ थी बिहार की पहचान, उनके गीतों में बसा था लोक का सम्मान, वो शख्सियत अब हमारे बीच नहीं रही….बिहार की लोक गायिका और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा का आज दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। 11 दिनों से बीमार चल रहीं शारदा जी ने आखिरी सांस एम्स में ली। उनके निधन की पुष्टि एम्स द्वारा की गई है। इस दुखद खबर से बिहार ही नहीं, बल्कि संगीत प्रेमियों में भी शोक की लहर है। छठ गीतों की मर्मस्पर्शी आवाज देने वाली शारदा सिन्हा को ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जाना जाता था।
पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस दुखद घटना से आहत हैं। प्रधानमंत्री मोदी लगातार एम्स के डॉक्टरों से शारदा सिन्हा की स्थिति के बारे में अपडेट लेते रहे थे। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि शारदा सिन्हा के निधन से बिहार और संगीत जगत को बड़ी क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने शारदा जी के परिजनों और चाहने वालों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं और ईश्वर से उन्हें इस दुख की घड़ी में संबल देने की प्रार्थना की।
शारदा सिन्हा: बिहार की आवाज़
शारदा सिन्हा को छठ के गीतों का पर्याय माना जाता है। उनकी आवाज में गाए गए छठ गीत बिहार, उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न हिस्सों में बेहद लोकप्रिय हैं। बिहार के लोकगीतों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली शारदा सिन्हा ने न सिर्फ भोजपुरी और मैथिली में, बल्कि हिंदी में भी कई बेहतरीन गीत गाए। भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्म श्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
सामाजिक और राजनैतिक जगत से शोक संदेशों का लगा तांता
उनके निधन की खबर से हर वर्ग में शोक का माहौल है। सामाजिक और राजनैतिक जगत के कई बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा, पटना के सांसद रविशंकर प्रसाद, पाटलिपुत्र के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, कांग्रेस नेता सूरज सिन्हा समेत सैकड़ों नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि शारदा सिन्हा का छठ के समय ही हमें छोड़कर जाना उनके इस महापर्व के प्रति गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।
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बिहार के संगीत प्रेमियों के लिए अपूरणीय क्षति
शारदा सिन्हा के निधन से बिहार और देश के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। लोग उनकी आवाज़ को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उनके गाए गीत खासकर छठ महापर्व के समय हर घर और गली में गूंजते रहे हैं और हमेशा गूंजते रहेंगे। उनकी अनुपस्थिति से बिहार के सांस्कृतिक लोकगीतों को बहुत बड़ी क्षति हुई है।
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