Sharad Purnima 2024 Date :आश्विन माह की शरद पूर्णिमा को हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में विशेष अमृत तत्व होता है, जो सेहत और सौभाग्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने, मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने और विशेष मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त(Sharad Purnima 2024 Shubh Muhurat)
शरद पूर्णिमा 2024(Sharad Purnima)की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात 08:40 बजे हो रही है और इसका समापन 17 अक्टूबर को शाम 04:55 बजे होगा। व्रत और पूजा का मुख्य समय 16 अक्टूबर को रहेगा, जबकि स्नान-दान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान 17 अक्टूबर को किए जाएंगे। इसलिए, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है।
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पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)
- स्नान और व्रत: शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- खीर का महत्व: इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर उसे रातभर खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। अगली सुबह इस खीर का सेवन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यह खीर स्वास्थ्य और समृद्धि में वृद्धि करती है।
- मां लक्ष्मी की पूजा: इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा का प्रचलन है। एक साफ चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर, उन्हें फूल, दीपक और धूप दिखाएं। पूजा के दौरान लक्ष्मी जी के विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- दान का महत्व: अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को, शरद पूर्णिमा के व्रत के समापन के बाद जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्रों का दान करना चाहिए। इसे बेहद शुभ माना गया है।
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शरद पूर्णिमा के मंत्र
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। - ॐ चन्द्रमसे नमः
इस मंत्र का जाप शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की उपासना के दौरान करना चाहिए, ताकि मानसिक शांति और सौभाग्य की प्राप्ति हो।
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शरद पूर्णिमा पर क्या करें
- चंद्रमा की पूजा और उनके प्रकाश में खीर रखना शरद पूर्णिमा की एक प्रमुख परंपरा है। इसे अगले दिन परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए।
- लक्ष्मी जी की पूजा करने के बाद उनकी आरती करें और परिवार के साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण करें।
- व्रत रखने वालों को इस दिन पूरे दिन उपवास रखना चाहिए और चंद्र दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
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खीर का महत्व (Sharad Purnima kheer)
बता दें कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima)की रात को खीर बनाने और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों में अमृत समान औषधीय गुण होते हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को खीर को खुले आसमान के नीचे चांदनी में रखा जाता है, इसके बाद इस खीर का सेवन करने की परंपरा है,
जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती खीर को माता लक्ष्मी का प्रसाद भी माना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा के दौरान खीर का भोग लगाया जाता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में खीर रखने का समय रात में 8 बजकर 40 मिनट से है।