Shankaracharya Avimukteshwaranand News :शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल ही में दावा किया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। उनका आरोप था कि यह धमकी उन लोगों की ओर से आ रही है, जो सरकार के पक्ष में खड़े हैं और उनके द्वारा उठाए गए सवालों से नाराज हैं। शंकराचार्य ने यह बयान कुंभ मेला में हुए भगदड़ के हादसे के संदर्भ में दिया, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। इस घटना के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की लापरवाही को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे।
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कुंभ हादसे पर उठाए सवाल
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मौनी अमावस्या के दिन हुए अमृत स्नान के दौरान हुई भगदड़ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हादसे में कितने लोग मारे गए, इस आंकड़े को सरकार छिपा रही है। उनके अनुसार, वास्तविक मौतों का आंकड़ा जानबूझकर दबाया जा रहा है, जबकि स्नान करने वालों की संख्या हर घंटे की रिपोर्ट के रूप में उपलब्ध होती है।

उन्होंने कहा, “जितने लोग स्नान करने आते हैं, उनके आंकड़े हर घंटे अपडेट हो जाते हैं, लेकिन मृतकों की संख्या चार दिन बाद भी सही से नहीं बताई जा रही है। यह व्यवस्था में गंभीर कमी को दर्शाता है।” शंकराचार्य ने यह भी कहा कि जब मीडिया इस हादसे को कवर करने के लिए जाती है, तो पुलिस उन्हें डंडे से मारकर भगा देती है।
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धमकियां और सवालों के खिलाफ शंकराचार्य का संघर्ष
इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या सत्ता पक्ष ने उन्हें इस तरह के बयान न देने के लिए कहा था, तो शंकराचार्य ने जवाब दिया कि यदि वे खुद आते और तथ्य सामने रखते, तो उन्हें अच्छा लगता। उनका कहना था, “अगर सरकार के लोग आते और हमें सच्चाई बताते, तो हमें अच्छा लगता।

लेकिन वे सीधे संवाद ही नहीं करते और उल्टा धमकियां देते हैं।”उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें 4-5 लोगों से जान से मारने की धमकी मिली थी, लेकिन उन्होंने इस धमकी को नजरअंदाज करते हुए कहा कि एक संन्यासी को मरने से डर नहीं लगता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें अब कोई सांसारिक सुख नहीं चाहिए, उनका उद्देश्य केवल हिंदू समाज के लिए आवाज उठाना है।
राजनीति से दूर, हिंदू समाज के साथ खड़े रहने की शपथ

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वे राजनीति के पक्ष में नहीं खड़े हैं, बल्कि उनका उद्देश्य केवल हिंदू समाज के लिए काम करना है। उन्होंने कहा, “हिंदू समाज चाहेगा कि हम सत्ता के पक्ष में खड़े होकर अपनी स्वार्थ सिद्धि करें या फिर हम उनके लिए आवाज उठाएं। हमने खतरे को अपने ऊपर लिया है और उनकी आवाज को बुलंद किया है।” शंकराचार्य ने यह भी साफ किया कि उनका संघर्ष हिंदू समाज के कल्याण के लिए है, और राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं है।