Waqf Amendment Act SC Hearing: वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। SC में 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हैं। कोर्ट ने आज सुनवाई के लिए 10 याचिकाओं को चुना और उन पर सुनवाई की। CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय बेंच ने सुनवाई की।
वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ को लागू होने पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। CJI ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।
बेंच ने सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता से क्या पूछा?
बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि “वक्फ बाय यूजर” की अनुमति कैसे नहीं दी जा सकती है, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फ पंजीकृत कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होंगे। “वक्फ बाय यूजर” एक ऐसी प्रथा को संदर्भित करता है, जहां किसी संपत्ति को ऐसे उद्देश्यों के लिए उसके दीर्घकालिक, निर्बाध उपयोग के आधार पर धार्मिक या धर्मार्थ बंदोबस्ती (वक्फ) के रूप में मान्यता दी जाती है, भले ही मालिक द्वारा वक्फ की औपचारिक, लिखित घोषणा न की गई हो।
पूछा कि पीठ ने कहा, “आप वक्फ बाय यूजर को कैसे पंजीकृत करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे? हां, कुछ दुरुपयोग हुआ है। लेकिन कुछ वास्तविक भी हैं। मैंने प्रिवी काउंसिल के फैसलों को भी पढ़ा है।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में क्या कहा?
अपीलकर्ता कपिल सिब्बल ने कहा,’ हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?’
SC में 73 याचिकाएं दाखिल
सर्वोच्च अदालत में वक्फ संशोधन कानून को समाप्त करने के लिए 73 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई हैं। बता दें कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके और सीपीआई जैसी विपक्ष की कई पार्टियों ने एक्ट को चुनौती दी थी। इसके अलावा जमीयत उलेमा हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी धार्मिक संस्थाएं और NGO भी इसमें संशोधन के खिलाफ हैं।
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