Sawan somvar Vrat Katha:हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत पावन और विशेष माना जाता है। इस पूरे माह शिव भक्त (Sawan Somwar Vrat Katha) हर सोमवार को व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और मन, वचन व कर्म से भोलेनाथ की उपासना करते हैं। यह व्रत केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि और मनोकामना पूर्ति का मार्ग माना गया है।
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सावन सोमवार व्रत का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में वर्णित है कि सावन के महीने में शिव की आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से सावन सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भक्त विशेष रूप से व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और शिव व्रत कथा का पाठ करना आवश्यक माना गया है।
सावन व्रत कथा
सावन सोमवार व्रत की एक अत्यंत प्रसिद्ध और प्रेरणादायक कथा है — साहूकार की कथा। एक समय की बात है, एक नगर में एक साहूकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। दोनों बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे और भगवान शिव की उपासना में लीन रहते थे। उन्होंने वर्षों तक सावन सोमवार का व्रत किया, लेकिन उन्हें संतान सुख नहीं प्राप्त हो रहा था।कई वर्षों की भक्ति के बाद, भोलेनाथ की कृपा से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। लेकिन दुर्भाग्यवश वह पुत्र कुछ ही वर्षों में गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। साहूकार और उसकी पत्नी ने फिर से अखंड श्रद्धा से सावन सोमवार व्रत और शिव आराधना शुरू की। उन्होंने न केवल उपवास रखा बल्कि विधिपूर्वक भगवान शिव की कथा और आरती की।
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शिव कृपा से मिला जीवनदान
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए और उनके पुत्र को जीवनदान दिया। इस घटना के बाद पूरे नगर में साहूकार की आस्था और शिव की कृपा का प्रसार हुआ। तभी से यह मान्यता बनी कि सावन सोमवार का व्रत न केवल इच्छाओं की पूर्ति करता है, बल्कि यह जीवन की कठिन परिस्थितियों में ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का माध्यम भी बनता है।
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सावन में अन्य पर्वों का महत्व
सावन माह में कई महत्वपूर्ण तिथियां आती हैं। कामिका एकादशी, जो सावन के महीने में आती है, का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है। वहीं कामिका एकादशी के ठीक अगले दिन सावन शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन शिवजी की रात्रि में विशेष पूजा, अभिषेक और जागरण का विशेष महत्व होता है।