Satya Pal Malik: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के राम मनोहर नृहिया अस्पताल में निधन हो गया । वह लंबे समय से बीमार से पीड़ित थे। उनके निधन के बाद अब एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है-क्या अब उनके खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के केस का अंत हो गया ? दरअसल सत्यपाल मलिक 2200 करोड़ रुपए के किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए थे। CBI ने मई 2025 में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। आरोप था कि बतौर गवर्नर उन्हें 300 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर की गई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया, लेकिन उनके फैसले के बावजूद टेंडर पास कर दिया गया।
क्या था किरू प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार मामला?
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 624 मेगावाट क्षमता का किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इस योजना को चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. (CVPPPL) बना रही है, जिसमें NHPC (51%), JKSPDC (49%) और PTC (2%) की भागीदारी है। साल 2019 में आरोप लगे कि प्रोजेक्ट के सिविल वर्क के ठेके के लिए ई-टेंडरिंग और रिवर्स ऑक्शन की प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया और ठेका पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया। जबकि बोर्ड मीटिंग में रिवर्स ऑक्शन की प्रक्रिया को मंजूरी दी गई थी।
मलिक का दावा: रिश्वत ठुकराई, टेंडर रद्द किया
सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि जब वे जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे, तब उनके पास इस प्रोजेक्ट से जुड़ी दो फाइलें आई थीं। उन्हें इनमें से एक को मंजूरी देने के लिए 150 करोड़ की रिश्वत ऑफर की गई, यानी कुल 300 करोड़ रुपए का प्रस्ताव था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। मलिक ने कहा कि उन्होंने दोनों टेंडर रद्द कर दिए थे और इस पूरे मामले की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी थी। मलिक का आरोप था कि उनके तबादले के बाद फिर से टेंडर को मंजूरी दे दी गई। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि जो आदमी रिश्वत ठुकरा दे, वही भ्रष्टाचार के केस में फंसा दिया गया।
CBI जांच और छापेमारी
सत्यपाल मलिक के इन दावों के बाद केंद्र सरकार ने CBI को जांच सौंपी। CBI ने 2022 में FIR दर्ज की और फरवरी 2024 में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में 30 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें मलिक के सहयोगियों के साथ-साथ CVPPPL के अधिकारियों और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के परिसरों पर भी रेड की गई। जांच के बाद मई 2025 में CBI ने चार्जशीट दाखिल की, जिसमें मलिक समेत 7 अन्य के खिलाफ नामजद आरोप लगाए गए।
चार्जशीट में किन-किन के नाम?
CBI की चार्जशीट में सत्यपाल मलिक के अलावा जिन लोगों के नाम हैं, वे हैं: वीरेंद्र राणा और कंवर सिंह राणा (मलिक के सहयोगी) नवीन कुमार चौधरी, एमएस बाबू, एमके मित्तल, अरुण कुमार मिश्रा (CVPPPL के पूर्व अधिकारी) पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड चार्जशीट के अनुसार, इन लोगों ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी कर कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
अब सत्यपाल मलिक के निधन के बाद क्या होगा?
भारतीय कानून के अनुसार, यदि किसी आरोपी की मृत्यु हो जाती है, तो भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही स्वतः समाप्त हो जाती है। इसका मतलब है कि अब सत्यपाल मलिक के खिलाफ केस आगे नहीं बढ़ेगा, लेकिन अन्य आरोपियों के खिलाफ ट्रायल जारी रहेगा। हालांकि, मलिक की गवाही और बयान इस केस में अहम भूमिका निभा सकते थे, जो अब उपलब्ध नहीं रहेंगे। इससे जांच और कानूनी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
ICU से लिखा था भावुक पोस्ट
मई 2025 में अस्पताल में भर्ती रहते हुए मलिक ने ICU से एक भावुक पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “मैंने रिश्वत ठुकराई, टेंडर रद्द किया, फिर भी मुझे भ्रष्टाचार में फंसा दिया गया। मैं कभी नहीं झुकूंगा।” उनकी यह बात आज भी बहस का विषय बनी हुई है कि क्या सच में उन्हें साजिशन निशाना बनाया गया। सत्यपाल मलिक अब नहीं रहे, लेकिन किरू प्रोजेक्ट केस में उनके दावे, भूमिका और CBI की जांच से उठे सवाल अब भी कायम हैं। उनका निधन भले ही उनके खिलाफ केस को समाप्त कर दे, लेकिन प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य जिम्मेदारों पर कानून का शिकंजा अब भी कसता रहेगा।
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