संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा होती है, जिन्हें विघ्नहर्ता और सुख-संपत्ति के दाता माना जाता है। 2025 में संकष्टी चतुर्थी 14 फरवरी (आज) को है, जो विशेष महत्व रखती है। इस दिन गणेश जी की पूजा विधिपूर्वक करने से सभी विघ्नों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि तथा आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
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विघ्नहर्ता की पूजा का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का दिन गणेश जी की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। हिंदू धर्म में गणेश जी को विघ्नहर्ता, बुद्धि के देवता और सभी कार्यों में सफलता देने वाला माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से उनका व्रत और पूजन करने से जीवन के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और हर प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं।
पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी पर पूजा विधि को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा भाव से करना चाहिए। यह पूजा आमतौर पर दिनभर उपवासी रहकर की जाती है, लेकिन यदि कोई उपवास नहीं कर सकता तो वह दिनभर अच्छे कार्यों और प्रार्थना में व्यस्त रह सकता है।
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सबसे पहले घर के पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक छोटा सा गणेश प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रहे कि प्रतिमा या चित्र शुद्ध और साफ हो।
पूजा स्थल पर दीपक और अगरबत्ती लगाकर वातावरण को शुद्ध करें।
पूजा में “ॐ गण गणपतये नमः” और “ॐ श्री गणेशाय नमः” जैसे मंत्रों का जाप करें। इन मंत्रों से विघ्नहर्ता भगवान को प्रसन्न किया जाता है।
इस दिन संकल्प लेकर उपवासी रहना चाहिए। उपवास करने से मन शांत रहता है और भगवान गणेश की कृपा मिलती है।
गणेश जी को मोदक, फल, दूर्वा घास और मिठाई अर्पित करें। यह माना जाता है कि भगवान गणेश मोदक और दूर्वा घास पसंद करते हैं।
पूजा के बाद गणेश जी की आरती गायें। यह पूजा का अंतिम चरण होता है, जिससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
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रखें विशेष ध्यान
पूजा के दौरान ध्यान रखें कि मन एकाग्र रहे और सभी कार्य श्रद्धा से करें।
यदि संभव हो तो संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन से पहले गणेश पूजा करें।
किसी प्रकार के वाद-विवाद से दूर रहें और सच्चे मन से पूजा करें।