Sankashti Chaturthi 2025: फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी, जिसे द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, आज 16 फरवरी, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से दो शुभ योग बन रहे हैं – सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग। इन योगों में गणेश जी की पूजा से सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी कार्य सफल होते हैं। चंद्रमा की पूजा इस व्रत में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता।
पूजा मुहूर्त के बारे में जानें

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 15 फरवरी को रात 11:52 बजे होगा। तिथि 17 फरवरी को तड़के 2:15 बजे तक रहेगी, और इस आधार पर फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 फरवरी, रविवार को है। इस दिन, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का विशेष महत्व होगा, जो पूजा के लिए उत्तम समय प्रदान करते हैं।
मुहूर्तों का विशेष महत्व
इस साल फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी के दिन, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:59 बजे से अगले दिन 17 फरवरी, सुबह 4:31 बजे तक रहेगा। इस समय में अमृत सिद्धि योग भी बनेगा। व्रत के दिन धृति योग सुबह 8:06 बजे तक रहेगा, उसके बाद शूल योग बनेगा। इस दिन हस्त नक्षत्र प्रात: काल से लेकर 17 फरवरी को सुबह 4:31 बजे तक रहेगा, इसके बाद चित्रा नक्षत्र होगा।
जानें ब्रह्म मुहूर्त से लेकर अभिजीत मुहूर्त तक

फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी के दिन, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:16 बजे से 6:07 बजे तक रहेगा, जो स्नान और दान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, जिसे अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है, दोपहर 12:13 से 12:58 बजे तक रहेगा। वहीं, लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 9:47 बजे से 11:11 बजे तक और अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 11:11 से 12:35 बजे तक होगा। इन समयों में पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
व्रत कथा से मिलती है शुभ फल
संकष्टी चतुर्थी के दिन, रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। चतुर्थी व्रत का पारण रात 9:39 बजे चंद्रोदय के बाद किया जाएगा। इस समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा किया जाता है। इसके बाद संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ने से विशेष पुण्य मिलता है और व्यक्ति के जीवन के कष्ट और संकट दूर होते हैं।
मंत्र जाप से मिलती है मनोकामनाओं की पूर्ति

फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा के लिए “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस मंत्र में गणेश जी का बीज मंत्र ‘गं’ भी शामिल है, जो मनोकामनाओं की पूर्ति में मदद करता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन संकल्प लेकर व्रत और पूजा करने से कार्यों में विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं, और जीवन में शुभता और समृद्धि आती है।