सिस्टम से हार गयी संजना, Scholarship के लिए फिरती रही मारी-मारी, अंत में मौत को लगाया गले

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
प्रतीकात्मक इमेज

Jhansi News: झांसी (Jhansi) में छात्रा संजना की आत्महत्या ने सिस्टम की बड़ी खामियों को उजागर किया है। छात्रवृत्ति (Scholarship) पाने के लिए संजना बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (Bundelkhand University) से लेकर समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) तक के चक्कर काटती रही, लेकिन हर जगह से उसे निराशा ही हाथ लगी। किसी ने भी आगे बढ़कर उसकी सहायता नहीं की। इसका अंदाजा उसके सुसाइड नोट से लगाया जा सकता है। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा, “मैंने बहुत मेहनत की, लेकिन अफसर झूठ बोलते रहे।”

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पढ़ाई में मेधावी और खेलकूद में अव्वल

संजना पढ़ाई में मेधावी थी। संजना के परिवारवालों का कहना है कि वह पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी तेज थी। वह एनसीसी (ncc) कैडेट थी और पुलिस में भर्ती होना चाहती थी। छात्रवृत्ति से उसे उम्मीद थी कि इससे उसकी पढ़ाई जारी रह सकेगी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन और समाज कल्याण विभाग के अफसर छात्रवृत्ति के लिए उसे लगातार झूठ बोलते रहे।

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सुसाइड नोट में बयां किया दर्द

संजना ने सुसाइड नोट में अपना दर्द साझा करते हुए लिखा, “मैं यह नोट इसलिए लिख रही हूं ताकि पता चल सके कि मैंने यह कदम क्यों उठाया। मेरी छात्रवृत्ति 28 हजार रुपये आनी थी, मगर नहीं आई। कॉलेज में सबकी आ चुकी है। इसके लिए विकास भवन तक हो आई। उन्होंने बोला तुम्हारे आधार कार्ड की फीडिंग नहीं है। बैंक जाने पर मालूम चला कि आधार फीडिंग पहले से ही हो चुकी है।”

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छात्रवृत्ति के लिए कड़ी मेहनत

संजना ने लिखा, “दो माह में स्कॉलरशिप आने की बात कही गई। मैं विकास भवन मम्मी के साथ गई। उनकी तबीयत खराब थी, लेकिन मैं उन्हें लेकर गई। हमें अंदर से घुटन होने लगी। हमने बहुत मेहनत की थी। हो सके तो माफ कर देना, इस कदम के लिए।”

जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी केपी सिंह ने कहा कि छात्रा संजना कुशवाहा की छात्रवृत्ति विभाग अथवा निदेशालय स्तर से नहीं रोकी गई थी। छात्रा ने ऑनलाइन स्वयं डिटेल भरी थी। कॉलेज स्तर से चेक होने के बाद फार्म उच्च शिक्षाधिकारी कार्यालय अग्रसारित हुआ। निदेशालय ने छात्रवृत्ति की धनराशि बैंक में भेज दी थी। एनपीसीआई सर्वर ने छात्रा के खाते से आधार डी-फीड बताते हुए ट्रांजेक्शन फेल कर दिया। 31 मार्च को छात्रवृत्ति निदेशालय वापस हो गई।

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विश्वविद्यालय ने दी सफाई

कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने कहा कि छात्रा का फार्म विश्वविद्यालय के संबंधित विभाग से फारवर्ड कर दिया गया था। नोडल अधिकारी द्वारा सत्यापन भी हो गया था। आवेदन समाज कल्याण विभाग के पोर्टल पर चला गया था, वहां से भी कोई आपत्ति नहीं आई थी। छात्रा की ओर से भी कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई थी। पूरी जांच करा ली गई है।

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प्रदेश स्तरीय खिलाड़ी थी संजना

संजना खेलकूद में अव्वल थी। उसने बड़ागांव इंटर कॉलेज की ओर से पिछले साल प्रदेशीय माध्यमिक एथलेटिक्स भाला फेंक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। प्रदेश स्तरीय इस प्रतियोगिता में संजना ने तीसरा स्थान हासिल किया था। विद्यालय प्रबंधक राजीव रिछारिया के मुताबिक संजना हर खेल प्रतियोगिता में आगे रहती थी और उसे पांच हजार रुपये से पुरस्कृत भी किया गया था।
संजना की आत्महत्या ने छात्रवृत्ति प्रणाली की खामियों को उजागर किया है, जिससे छात्रों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह आवश्यक हो गया है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए।

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