Prime Chaupal: आजादी के बाद से देशभर में शिक्षा और विकास के लिए कई योजनाएं बनाई गईं, लेकिन इन योजनाओं का असल फायदा जमीनी स्तर पर नहीं पहुंच पा रहा है। लखनऊ जिले के गोसाईगंज विकास खंड के गांव जहॉगीरपुरा की स्थिति काफी चिंताजनक है। यहां वर्षों पहले बना प्राथमिक विद्यालय अब खंडहर में बदल चुका है और गांव में स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं की स्थिति भी दयनीय है।
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प्राथमिक विद्यालय की हालत अब खंडहर में तब्दील

बताते चले कि, गोसाईगंज के ग्राम पंचायत जहॉगीरपुरा में एक समय पहले बनवाए गए प्राथमिक विद्यालय की हालत अब खंडहर में तब्दील हो गई है। भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते यह विद्यालय कभी पूरी तरह से काम नहीं कर पाया। विद्यालय के भवन की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब वहां बच्चों के लिए शिक्षा देना लगभग नामुमकिन हो गया है। यह स्थिति उस गांव के विकास के बारे में गंभीर सवाल उठाती है, जो सरकारी योजनाओं के तहत बनाए गए थे।
गंदगी और सफाई की नाकामी

गांव की सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा चुकी है। नालियां गंदगी से भरी हुई हैं और उनमें कीड़े-मकोड़े तक पाये जा रहे हैं। गांव के लोग यह कहते हैं कि सरकार ने विकास के नाम पर बहुत पैसा खर्च किया है, लेकिन उन्हें इसका कोई भी लाभ नहीं मिला। सफाई कर्मी ने पिछले रक्षा बंधन में गांव में सफाई के लिए आकर काम किया था, लेकिन उसके बाद से कोई और सफाई कर्मी गांव में नहीं आया। गांव के लोग अब भी सरकारी योजनाओं का इंतजार कर रहे हैं और साफ-सफाई के मुद्दे पर निराश हैं।
स्थानीय लोगों का क्या कहना है ?

गांव के प्रधान को लेकर भी लोगों में गहरी नाराजगी है। ग्राम पंचायत में आने वाले सभी गांवों के प्रधान होते हैं, लेकिन यहां के लोग कहते हैं कि प्रधान एक गांव में काम कर रहे हैं, तो दूसरे गांव को पूरी तरह से वंचित रखा जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधान ने अभी तक उनके लिए कोई ठोस काम नहीं किया है। हालात ऐसे हैं कि गांव में लोग आज भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं ले पाए हैं, जबकि उनके पास रहने के लिए झोपड़ी तक नहीं है।
क्या है सरकारी योजना का सच?

गांव के लोग लगातार सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने से नाराज हैं। उनके अनुसार, सरकारी पैसे ग्रामीण विकास के नाम पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन वह कहां जाते हैं, इस पर किसी का ध्यान नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ पात्र लोगों को नहीं मिल रहा है, तो फिर इस योजना का फायदा किसे मिल रहा है? ऐसे में गांववाले अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन इन सरकारी योजनाओं के लागू होने में कोई स्पष्टता नहीं है।
विकास की योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन उन योजनाओं का असली फायदा ज़मीनी स्तर पर नहीं पहुंच पाता है। गांवों में आज भी लोग विकास के वास्तविक बदलाव का इंतजार कर रहे हैं। इस स्थिति को देखकर यह सवाल उठता है कि क्या सच में ग्रामीण विकास का वादा सरकार पूरी तरह से निभा पा रही है या ये केवल कागजों तक सीमित है?
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